नितिन मीणा, सीकर ………………. संस्कृति को भूलने लगे प्राचीन काल से आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरी के जन्म को धनतेरस के रूप में मनाया जाता रहा है परन्तु आजकल धनतेरस का मतलब सोना-चांदी और आभूषणों की खरीदी हो गया है। आज की युवा पीढ़ी में से कई ऐसे हैं जिन्हें धन्वंतरि के बारे में भी जानकारी नहीं होगी।
—संजय डागा, इन्दौर, मप्र ……………. अर्थ प्रधान युग अर्थ प्रधान युग होने से धन तेरस पर आयुर्वेद की अपेक्षा सोने चांदी की चर्चा होती है। इसके बावजूद मानव का स्वस्थ ही सर्वोपरि है। अत: इस पर्व पर आयुर्वेद की चर्चा ज्यादा होनी चाहिए।
– राजकुमार पाटीदार, सुनेल, झालावाड़ …………. बन गई है ऐसी धारणा धनतेरस के पर्व को धन से जोड़ा गया है। इसलिए आमजन अपनी हैसियत के हिसाब से सोना-चांदी खरीदते हैं। यह धारणा बन गई है कि धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदने से साल भर धन आता रहता है।
दिलीप शर्मा, भोपाल, मध्यप्रदेश ………………. आयुर्वेद में रुचि बहुत कम धनतेरस पर आम आदमी सोने चांदी खरीदने की ही चर्चा ज्यादा इसलिए करता है क्योंकि आम आदमी की रुचि आयुर्वेद में बहुत कम है। आम आदमी एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति से अधिक जुड़ा हुआ है।
-ओमप्रकाश श्रीवास्तव, उदयपुरा, मप्र ……………..