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मेजर ध्यानचंद भारतीय हॉकी का ऐसा सितारा जिसने फील्ड मार्शल बनने का ऑफर ठुकराया था

भारतीय हॉकी का अतीत स्वर्णिम रहा है। अगस्त में संपन्न हुए खेलों के महाकुंभ टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला और पुरुष हॉकी टीमों का प्रदर्शन शानदार रहा |महिला टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन कर विश्वास स्तर पर अपना लोहा मनवाया लेकिन पदक से चूक गई| पुरुष हॉकी टीम ने इतिहास दोहराते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया था। भारतीय हॉकी टीम के स्वर्ण युग के दाता मेजर ध्यानचंद थे।

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आइए जानते हैं हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जीवन से जुड़े कई रोचक किस्से

हॉकी नहीं कुश्ती था ध्यानचंद का पहला प्यार- ध्यानचंद के पिता हॉकी के एक अच्छे खिलाड़ी थे मगर ध्यानचंद को बचपन में हॉकी से कोई लगाव नहीं था ,उन्हें कुश्ती पसंद था । सेना में भर्ती होने के बाद शारीरिक गतिविधि के लिए उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया फिर धीरे-धीरे हॉकी से उनका लगाव गहराता चला गया।

ध्यानचंद नहीं ध्यान सिंह नाम था - मेजर ध्यानचंद का नाम पहले ध्यान सिंह था। सेना में कार्यरत होने के कारण उन्हें दिन में हॉकी खेलने का समय नहीं मिल पाता था ,तब स्टेडियम में रात के वक्त लाइट की सुविधा नहीं हुआ करती थी । ध्यानचंद का हॉकी के प्रति ऐसा जुनून था कि वह अभ्यास के लिए चांदनी रातों का इंतजार किया करते थे ।उनके इसी जुनून को देखकर उनके दोस्त ने कहा था ध्यान वह दिन जरूर आएगा जब खेल की इस दुनिया में इस आसमान के चांद की तरह तुम भी पृथ्वी पर चमकोगे और उनका नाम ध्यानचंद रख दिया ।धीरे-धीरे उनका यह नाम विख्यात हो गया।

हिटलर ने दिया था फील्ड मार्शल बनाने का प्रस्ताव - भारतीय हॉकी टीम का मुकाबला जर्मनी से होने वाला था। तब जर्मनी का तानाशाह हिटलर जर्मनी की टीम को किसी भी कीमत पर जीतते देखना चाहता था। और उसने भारत को हराने के लिए मैदान गीला करवा दिया, ताकि सस्ते जूते पहने वाले भारतीय खिलाड़ी अपने पांव जमीन पर ना जमा सके। विषम परिस्थितियों में भी भारतीय खिलाड़ियों ने अद्भुत खेल दिखाते हुए जर्मनी को 8-1 से हरा दिया। हिटलर मेजर ध्यानचंद के प्रदर्शन से काफी प्रभावित हुआ और भारतीय टीम को भोजन पर आमंत्रित किया। ध्यानचंद हिटलर ने पूछा हॉकी खेलने के अलावा और क्या करते हो ,तो मेजर ने जवाब दिया मैं इंडियन आर्मी में 'लांस नायक' हूं। इस पर हिटलर ने कहा मेरे यहां आ जाओ मैं तुम्हें फील्ड मार्शल बना दूंगा पर ध्यानचंद ने हिटलर के इस प्रस्ताव को बड़ी विनम्रता पूर्वक इनकार कर दिया।