
नई दिल्ली : तमिलनाडु में इस वक्त कावेरी जल विवाद का मुद्दा गर्माया हुआ है। राज्य की सभी पार्टियां और प्रमुख लोग इस मुद्दे पर एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं। मंगलवार को चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम के बाहर भी प्रदर्शन किया गया। विदुथालाई चुरुथाईगल काची के कार्यकर्ता काले गुब्बारे लेकर प्रदर्शन करने पहुंचे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को जबरन स्टेडियम के बाहर से हटाया। कहा जा रहा है कि वहां प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी भी की। प्रदर्शन कावेरी विवाद को लेकर हुआ। बता दें कि तमिलनाडु इस मामले में कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड के गठन की मांग कर रहा है
कोलकाता और चेन्नई के मैच में हुई देरी
मंगलवार को चेपॉक के एम ए चिदंबरम स्टेडियम में एम एस धोनी के अगुवाई वाली चेन्नई सुपर किंग्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच मुकाबला होना था। कावेरी विवाद के कारण कोलकाता की टीम स्टेडियम देरी से पहुंची। प्रदर्शनकारियों की वजह से टॉस में देरी हुई जिसकी वजह से मैच थोड़ा देरी से शुरू हुआ। बता दें कि दो साल बाद चेपॉक में धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स खेलने उतरी । तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच चल रहे कावेरी नदी जल विवाद के कारण कई गुटों ने इस मैच को ना कराने की धमकी दी थी। मैच के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षा के लिए करीब 4,000 पुलिस सुरक्षा बलों को तैनात किया गया। स्टेडिम में काफी चीजें ले जाने पर प्रतिबंध लगा। गौरतलब है कि कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन न होने से रविवार को इस मामले में तमिलनाडु में एक्टर्स एसोसिएशन की ओर से विरोध-प्रदर्शन आयोजित किया गया था। जिसमें तमिलनाडु के सभी प्रमुख अभिनेता शामिल हुए। इसमें रजनीकांत , इलैया राजा, कमल हासन, धनुष, विजय सहित सभी कलाकार शामिल रहे। तब सुपर स्टार रजनीकांत ने कहा था कि रजनीकांत ने कहा था IPL में काली पट्टी बांधकर खेलें चेन्नई टीम के खिलाड़ी।
राजीव शुक्ला ने गृह सचिव से मुलाकातकी
इंडियन प्रीमियर लीग के चेयरमैन राजीव शुक्ला ने चेन्नई में होने वाले मैचों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर मंगलवार को केंद्रीय गृह सचिव से मुलाकात की। शुक्ला ने गृह सचिव से मिलकर केंद्र से इस मामले में दखल देने की अपील की है। मीडिया से बात करते हुए राजीव शुक्ला ने कहा कि केंद्र, तमिलनाडु और चेन्नई पुलिस ने उन्हें आईपीएल के मैचों की मेजबानी बिनी किसी दिक्कत के कराने का आश्वासन दिया है।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ?
सर्वोच्च अदालत ने 16 फरवरी को अपने आदेश में कवेरी नदी से तमिलनाडु को मिलने वाले हिस्से को घटा दिया था। वहीं सर्वोच्च अदालत ने केंद्र को छह सप्ताह के भीतर सीएमबी के गठन के आदेश दिए थे। इसकी समय सीमा 29 मार्च को खत्म हो गई। अदालत ने अब सरकार से तीन मई तक रोडमैप मांगा है।
क्या है कावेरी विवाद ?
कावेरी नदी घाटी में पड़ने वाले दो राज्यों, कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच लंबे वक्त से पानी के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। कर्नाटक का आरोप रहा है कि अंग्रेजों ने साल 1924 में जो बंटवारा किया था उसमें कर्नाटक के साथ इंसाफ नहीं किया गया। समौते पर कभी सहमति नहीं बन सकी। सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में कर्नाटक सरकार को आदेश दिया था कि कावेरी नदी से तमिलनाडु के किसानों के लिए आने वाले दस दिन तक 15000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाए। इसके बाद कर्नाटक में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया। दोनों राज्यों को ट्राइब्यूनल का फैसला मंजूर नहीं था। दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद 16 फरवरी को आए फैसले में कर्नाटक को दिए जाने वाले पानी का हिस्सा बढ़ा दिया गया। कोर्ट ने ऐसा कर्नाटक, खासकर बेंगलुरु में पैदा हुए पेयजल संकट को देखते हुए किया। यह व्यवस्था 15 साल के लिए की गई। कोर्ट के फैसले के बाद से तमिलनाडु में केंद्र सरकार के ऊपर कावेरी प्रबंधन बोर्ड बनाने का दबाव डालने के लिए प्रदर्शन हो रहे हैं।
Published on:
10 Apr 2018 08:51 pm
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