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4 माह की उम्र में हुई थी पिता की हत्या, नर्सरी में काम कर मां ने देश को दिया ये अनमोल रत्न

सूरज के पिता अपने बेटे को पहली बार चलते हुए भी नहीं देख पाए। सूरज द्वारा जीता गया ये पदक अपने परिवार को एक तोहफा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सूरज ने बताया " मैं 6 महीने का भी नहीं था जब मेरे पिता की दो वन रक्षकों के साथ जंगल माफिया ने असरोड़ी रेंज के मोहांद इलाके में हत्या कर दी थी। वो मुझे चलते हुए भी नहीं देख पाए। आज अगर वे ज़िंदा होते तो ये मैडल उनके ज़िन्दगी का सबसे खुशहाल पल होता। में भारत के लिए मैडल जीतना चाहता था और ये मैडल मेरे और मेरे परिवार के लिए सबसे बड़ा तोहफा है।

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suraj

सूरज के संर्घष को सलाम: 4 माह की उम्र में हुई थी पिता की हत्या, नर्सरी में काम कर मां में देश को दिया ये अनमोल रत्न

नई दिल्ली। भारतीय के लिए यूथ ओलम्पिक-2018 में 5,000 मीटर वॉक (पैदल चाल) में रजत पदक जीतने वाले सूरज पवार अपने पिता से कभी नहीं मिले। सूरज अपने पिता के बारे में जो भी जानते हैं वो उन्हें उनकी माँ ने बताया है। सिराज के पैदा होने के कुछ महीनों बाद उनके पिता उदय सिंह पवार और दो वन रक्षकों को जंगल माफिया ने देहरादून के पास मार दिया था।

जन्म से पहले ही हो गई थी पिता की मौत -
सूरज के पिता अपने बेटे को पहली बार चलते हुए भी नहीं देख पाए। सूरज द्वारा जीता गया ये पदक अपने परिवार को एक तोहफा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सूरज ने बताया " मैं 6 महीने का भी नहीं था जब मेरे पिता की दो वन रक्षकों के साथ जंगल माफिया ने असरोड़ी रेंज के मोहांद इलाके में हत्या कर दी थी। वो मुझे चलते हुए भी नहीं देख पाए। आज अगर वे ज़िंदा होते तो ये मैडल उनके ज़िन्दगी का सबसे खुशहाल पल होता। मैं भारत के लिए मैडल जीतना चाहता था और ये मैडल मेरे और मेरे परिवार के लिए सबसे बड़ा तोहफा है।

सूरज का प्रदर्शन -
17 वर्षीय पवार ने स्टेज-2 में 20 मिनट 35.87 सेकेंड का समय लेकर 5000 मीटर की दूरी तय की और रजत पदक अपने नाम किया। भारतीय एथलीट ने स्टेज-1 में 20 मिनट 23.30 सेकेंड का समय निकाला। पवार ओलम्पिक में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए हैं। इस स्पर्धा का स्वर्ण इक्वाडोर के ऑस्कर पैटिन ने जबकि कांस्य पदक प्यूटरे रिको के मोरेयू जान के खाते में गया। भारत के यूथ ओलम्पिक-2018 में अब तक 11 पदक हो गए हैं और वह पदक तालिका में 12वें स्थान पर है।

मनीष सिंह रावत ने दिए अपने जूते -
सूरज ने पीटी शूज पहन कर अपने करियर की शुरुआत की थी। बाद में उन्होंने यूथ ओलम्पिक में ओलिंपियन मनीष सिंह रावत द्वारा दिए गए सेकंड हैंड शूज से प्रतियोगिता में भाग लिया। सूरज ने बताया के उनके पिता गैर अनुबंधित ठेका कर्मचारी और माँ ने प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं की थी जिसके चलते माँ फारेस्ट के नर्सरी डिपार्टमेंट में काम करती हैं और इतना भी नहीं कमा पाती कि मेरे लिए एक जोड़ी जूते खरीद सके। यहां आने से पहले मनीष भाई ने मुझे एक जोड़ी अपने पुराने जूते दिए जो उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में इस्तेमाल किये थे। जूता मेरे पेअर के साइज से बड़ा था इस लिए मैंने दो मोज़े पहनकर उसका इस्तेमाल किया।