
कैंसर से जूझ रहे पिता को बेटे ने दिया सबसे बड़ा तोहफा, ऐसे सपूत पर पुरे देश को गर्व है
नई दिल्ली। कैंसर से जूझ रहे मेरे पिता ने कहा, "तू आगे बढ़, जो होगा देखा जाएगा'। इसलिए, एशियाई खेलों का यह स्वर्ण पदक मेरे पिता और मेरे परिवार को समर्पित है।" यह कहना है इंडोनेशिया में जारी 18वें एशियाई खेलों में गोला फेंक (शॉट पुट) स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय एथलीट तेजेन्दरपाल सिंह तूर का। आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में उन्होंने अपने खेल जीवन से जुड़ी कई अहम बातों पर चर्चा की।
पिता को किया अपना पदक समर्पित-
स्वर्ण पदक की सफलता को अपने पिता करम सिंह और अपने परिवार को समर्पित करते हुए तेजेन्दरपाल ने कहा, "मेरे पिता पिछले दो साल से कैंसर से जूझ रहे हैं। लेकिन उन्होंने मुझे कभी भी अस्पताल दवाई लेने के लिए नहीं भेजा और न ही मुझे घर पर बुलाया। उन्होंने कहा कि तू अपना प्रशिक्षण जारी रख। आगे की चिंता न कर, जो होगा देखा जाएगा। इसलिए, यह जीत मेरे पिता को समर्पित है।" बकौल तेजेन्दरपाल, "मेरे परिवार ने मेरा इसमें पूरा साथ दिया। उनके समर्थन के बिना यह बिल्कुल भी संभव नहीं था। इसलिए, मैंने भी अपना प्रयास कड़ी मेहनत के साथ जारी रखा और स्वयं को लक्ष्य से भटकने नहीं दिया। ऐसे में मेरे परिवार को भी मेरी यह जीत समर्पित है।"
बना दिया एशियाई रिकॉर्ड-
उल्लेखनीय है कि अपने कोच मोहिंदर सिंह ढिल्लन के मार्गदर्शन में अभ्यास करने वाले तेजेन्दरपाल ने पुरुषों की गोला फेंक स्पर्धा में एशियाई रिकॉर्ड के साथ पहला स्थान हासिल किया। उन्होंने 20.75 मीटर के साथ भारत का परचम लहराया। एशियाई खेलों में यह एक नया रिकॉर्ड है। इससे पहले 20.57 मीटर का रिकार्ड था, जो सऊदी अरब के अब्दुलमजीद अल्हाबाशी ने 2010 एशियाई खेलों में बनाया था।
गोल्ड कोस्ट में नहीं जीत सके थे पदक-
भारतीय नौ सेना में काम करने वाले पंजाब के मोगा जिले के तेजेन्दरपाल ने पिछले साल भुवनेश्वर में आयोजित एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था। वह गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में हालांकि निराशाजनक तौर पर आठवें स्थान पर रहे थे। तेजेंदरपाल ने गोल्ड कोस्ट की नाकामी को अपने राह में रोड़ा नहीं बनने दिया और चैम्पियन बनकर उभरे। अपनी खुशी जाहिर करते हुए तेजेन्दरपाल ने आईएएनएस से कहा, "स्वर्ण जीतकर बेहद खुशी हो रही है, क्योंकि सभी का लक्ष्य इस पदक को हासिल करना होता है। इसके साथ-साथ एशियाई रिकॉर्ड बनाया है। सबसे अधिक खुशी इस बात की है कि 16 साल बाद पंजाब की झोली में स्वर्ण पदक आया है।"
भारत का शार्ट पुट में नौवा स्वर्ण-
एशियाई खेलों के इतिहास में पुरुषों के शॉट पुट में भारत का यह नौवां स्वर्ण पदक है। इससे पहले, मदन लाल ने 1951 में, परदुमन सिंह ने 1954 और 1958 में, जोगिन्दर सिंह ने 1966 और 1970 में, बहादुर सिंह चौहान ने 1978 और 1982 में तथा बहादुर सिंह सागू ने 2002 के एशियाई खेलों के शॉट पुट स्पर्धा में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था।
Published on:
27 Aug 2018 04:01 pm
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