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पाकिस्तान: सेना के जनरल और ब्रिगेडियर को सजा देने से उठे कई सवाल

सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल जावेद इकबाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। साथ ही सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर राजा रिज़वान को मौत की सजा सुनाई गई है। पाक आर्मी के पास अपने कानून और कोर्ट हैं जिसके तहत वह बंद दरवाजे के पीछे सुनवाई करते हुए सजा सुनाती है।

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पाकिस्तान: सेना के जनरल और ब्रिगेडियर को सजा देने से उठे कई सवाल

इस्लामाबाद।पाकिस्तान ( Pakistan ) में लोकतंत्र की दुहाई जरूर दी जाती है, लेकिन आजादी के बाद से सबसे अधिक समय तक पाकिस्तान में सैन्य शासन रहा और आर्मी द्वारा ही सत्ता का संचालन होता रहा है। हालांकि अब जब पाकिस्तान में सेना के दो अधिकारियों को आजीवन कारावास ( life imprisonment ) व मौत की सजा ( death penalty ) सुनाया गया है तब इसको लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल, गुरुवार को पाकिस्तानी की आर्मी ने अपने एक बयान में बताया है कि पाक आर्मी ने जासूसी ( spying ) करने के आरोप में एक जनरल को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है, जबकि इसी मामले में एक ब्रिगेडियर को मौत की सजा सुनाई गई है। इसके अलावे एक नागरिक अधिकारी को भी इसी केस में दोषी ठहराया गया है। बयान में पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ( Gen. Qamar Javed Bajwa ) ने कहा कि आर्मी ने तीनों के खिलाफ आंतरिक ट्राइल के बाद पाया कि तीनों ने जासूसी की और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए विदेशी एजेंसियों को संवेदनशील जानकारी लीक की। इसके आधार पर तीनों को सजा सुनाई गई है।

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पाक सेना के अपने कानून और कोर्ट हैं

बता दें कि पाकिस्तानी आर्मी के अपने ही कोर्ट और कानून है, जिसके तहत वे किसी भी अधिकारी वे नागरिक को सजा देते हैं। सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल जावेद इकबाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, जिसका अर्थ है कि वह पाकिस्तानी कानून के तहत 14 साल जेल की सजा काटेंगे। इसके अलावे एक सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर राजा रिज़वान को वसीम अकरम जो कि एक सेना संगठन द्वारा नियोजित नागरिक चिकित्सक हैं के साथ मौत की सजा सुनाई गई थी। आर्मी की ओर से यह नहीं बताया कि तीनों आरोपियों ने किस तरह की सूचना को लीक किया या फिर किसने यह खुलासा किया। यह भी साफ नहीं है कि जब दोनों अधिकारी इस केस के शुरू होने से पहले ही रिटायर्ड हो चुके थे तो फिर यह मामला सामने कैसे आया? मालूम हो कि पाक आर्मी अपने बनाए हुए कानून और कोर्ट में आरोपी सैन्य अधिकारियों को हमेशा बंद दरवाजों के पीछे सुनवाई करती है और फिर उसे सजा दी जाती है। सैन्य प्रक्रियाओं के अनुसार फैसले को केवल चुनौती दी जा सकती है या समीक्षा की जा सकती है।

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