पाली में अधिकमास नगर परिक्रमा की शुरुआत 1976 में मुफतलाल बजाज, परसराम टवाणी, रामचन्द्र खेतावत, पं. राधाकृष्ण व नारायण दर्जी आदि ने की थी। इसके बाद यह परिक्रमण हर तीसरे वर्ष निकाली जाती रही। इसमें श्रद्धालुओं की संख्या भी हर वर्ष बढ़ती रही, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण परिक्रमा का वृहद रूप बदल रहा है।
सोमनाथ महादेव के दरबार में धोक लगाने के साथ शुरू यह यात्रा 45 किमी की होती है। इसमें तीन दिन लगते है। इसका पहला पड़ाव मानपुरा भाखरी पर, दूसरा कृषि मण्डी हाउसिंग बोर्ड व तीसरा लाखोटिया महादेव का दरबार में होता था। इस यात्रा में दक्षिणा और दान आने वाले रुपए से मंदिरों का जीर्णोद्धार करने के साथ अन्य धार्मिक स्थलों के विकास का कार्य किया जाता रहा है।
नगर परिक्रमा को लेकर एक माह पहले ही तैयारी में जुट जाते थे। इस बार कोरोना के कारण एक अक्टूबर के बाद बैठक कर यात्रा के बारे में विचार किया जाएगा। इसे पहले जितने वृहद स्तर पर नहीं निकाला जाएगा। पहले तो एक लाख से अधिक लोग यात्रा में आते थे। इस बार पांच-सात जनों को लेकर यात्रा निकालने पर मंथन चल रहा है। –कैलाश टवाणी, कोषाध्यक्ष, पाली अधिकमास नगर परिक्रमा संघ