सिंचाई विभाग का सूचना तंत्र फेल जिले में बिपरजॉय तूफान की भारी बरसात में भर गए थे 33 बांधमानसून आने वाला है और सिंचाई विभाग के पास नहीं गेज बताने वाले तक
राजीव दवे. सिंचाई विभाग के बांधों में बरसात होने पर कितना पानी आया है? नदी कितने वेग से बह रही है? बांध की दीवारें सुरक्षित है या नहीं? इसकी जानकारी के लिए पाली का सिंचाई विभाग ग्रामीणों के भरोसे है। इसका कारण है सिंचाई विभाग में कार्मिका का अभाव। सिंचाई विभाग में इस समय मेट व गेज रीडर के साथ हेल्पर, मिस्त्री, स्टोर सहायक व जमादार के नाम पर महज 14 कार्मिक है। जबकि विभाग के पास पाली व सुमेरपुर खण्ड में 52 बांध है।
अनुनय-विनय कर चलाते काम
हर साल मानसून आने पर कार्मिकों की कमी के कारण सिंचाई विभाग के अधिकारी बांधों के निकट रहने वाले ग्रामीणों या पूर्व कार्मिकों से अनुनय-विनय कर काम चला रहे हैं। ऐसा नहीं करे तो हाल ही में बिपरजॉय की तूफानी बरसात के समय ढारिया बांध में लीकेज होने की जानकारी भी नहीं मिलती और बांध का पानी वर्ष 2006 की तरफ फिर कहर बरपा देता।
जिले के 12 बांध स्टेट समय के
बांधों की सुरक्षा इस कारण भी जरूरी है कि 42 बांधों में 12 बांध तो स्टेट टाइम के बने हुए है। हेमावास बांध को बने तो 115 साल से अधिक हो चुके हैं। इसके बावजूद उस बांध पर हर कार्य देखने के लिए महज एक मेट कार्यरत है। बांध की मुख्य मोरी से आकेली की तरफ जाने वाली मोरी के बीच ही एक से डेढ़ किमी की दूरी है। ऐसा ही हाल अन्य बांधों का है।
कार्मिकों की कमी
विभाग में गेज रीडर के साथ अन्य कार्मिकों की कमी है। मानसून के समय बांध के पास के ग्रामीणों आदि से आग्रह कर गेज व अन्य सूचना लेनी पड़ती है। हम स्वयं भी बरसात के समय गश्त करते हैं।
ताराराम, अधीशासी अभियंता, सिंचाई विभाग, पाली
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जिले के बांधों पर अभी महज इतने कार्मिक
मेट: 2
गेज रीट: 4 (जवाई पर कार्यरत)
हेल्पर प्रथम: 1
हेल्पर द्वितीय: 2
मिस्त्री सिविल ग्रेड द्वितीय: 2
स्टोर सहायक: 2
जमादार: 1
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जल संसाधान खण्ड पाली में बांध: 44
जवाई नहर खण्ड सुमेरपुर में बांध: 8
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