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लोगों को नकली से ज्यादा, मिलावटी घी से सेहत को खतरा

शुद्ध देशी घी के नाम पर मिलावट का चूना, इस वर्ष 5 सैंपल में से तीन घी के सैम्पल में पाई गई मिलावट, कोई भी मौसम हो नहीं जम रहा शुद्ध के नाम पर दिया जाने वाले घी

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Dangers of health with mixed ghee

लोगों को नकली से ज्यादा, मिलावटी घी से सेहत को खतरा

पाली. जिलेभर में लोगों को सेहत के नाम पर चूना लगाने व्यापार काफी फल फूल रहा है। सबसे ज्यादा जिलेवासियों को शुद्ध देशी घी के नाम पर चूना लगाया जा रहा है। लोगों को महंगे दामों पर शुद्ध देशी घी के नाम पर मिलावटी घी थमाया जा रहा है। यह घी लोगों की जैब व सेहत दोनों को प्रभावित कर रहा है। यह चौकाने वाली हकिकत जांच के लिए इस वर्ष खाद्य निरीक्षक द्वारा जिलेभर से लिए घी के सैम्पल की रिपोर्ट में सामने आई है। जिलेभर से जांच के लिए अगल-अलग 5 घी के सैम्पल लिए गए थे। इसमें से 3 घी के सैम्पल में मिलावट पाई गई है। अधिकारियों ने बताया कि जिले में लगातार बढ़ रहे मिलावट के इस रोजगार को एक आम उपभोक्ता परख नहीं कर पा रहा है। इसके चलते वह बाजार में महंगे दाम पर विश्वास कर अपनी सेहत को खराब कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि जिले में नकली घी से ज्यादा मिलावटी घी का खतरा ज्यादा है। अधिकारियों ने बताया कि मिलावट का असर बाजार में बिकने वाले घी में आसानी से नजर आ जाता है। इसका पहला उदाहरण किसी भी मौसम में घी का रूप नहीं बदलना है। भले ही कडक़े की सर्दी हो या फिर 45 डिग्री की गर्मी बाजार में ऐसा घी नजर आ जाएगा जो न तो पिघलता है औ न ही जमता है।

अगल - अलग है घी की परिभाषा

नकली घी - अधिकारियों ने बताया कि विभाग की नजर में नकली घी की परिभाषा ब्रांड से है। अधिकारियों ने बताया कोई भी व्यक्ति किसी भी पैटेंट कम्पनी के नाम से घी निकालता है। उसे नकली घी की श्रेणी में माना जाता है।

मिलावटी घी - इस श्रेणी में घी के साथ अन्य पदार्थ को मिलाना आता है। इसके तहत घी में तेल, आलू, दही सहित अन्य पदार्थ को मिलाया जाता है।


25 डिग्री से कम तापमान पर जमने लगता है घी

अधिकारियों ने बताया कि 25 डिग्री से कम तापमान पर जमना शुरू हो जाता है। यह 17 डिग्री तापमान तक पूरी तरह जम जाता है। उन्होने बताया कि घी धीरे-धीरे गाढ़ा होता है। इसके बाद उसमें दाने बनना शुरू होते है और अंत में घी जमता है। अधिकारियों ने बताया कि अगर घी बहुत जल्दी जम रहा है या सर्दी में भी नहीं जम रहा है तो उसमें किसी न किसी तरह की मिलावट है।

केमिकल जांच से ही होती है जांच


- घी में हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालने व एक चुटकी चीनी डालकर दो मिनट तक मिलाया जाता है। घी का रंग गुलाबी या लाल होने का अथ है उसमें मिलावट है।

- घी में शकरकंद व आलू मिलावट होने पर ओयाडीन सोल्यूशन डालने पर उसका कलर नीला हो जाता है।

- अगर घी में स्टार्च की मिलावट है तो उसे गर्म करने पर घी कर कलर उड़ जाता है। और घी ठंडा होने पर वहीं कलर हो जाता है।

- घी में दूध या दूध से तैयार सामग्री की मिलावट होने पर उसमें डाइल्यूटेड सल्फ्यूरिक एसिड डालकर हिलाने पर उसका कलर गुलाबी या केसरी हो जाता है।

लैब में बीआर रिडिंग से होती है शुद्धता की जांच

अधिकारियों ने बताया कि घी की बड़ी कम्पनियों में घी की शुद्धता को बीआर रिडिंग से मापा जाता है। शुद्ध घी में रिडिंग 40 से 43 की आती है। घी में तेल या अन्य कोई भी मिलावट होने पर उसकी रिडिंग 50 से पार हो जाती है।

सैम्पलों में समाने आई मिलावट

- जिलेभर में घी में मिलावट की शिकायत मिलती रहती है। इस वर्ष संदेह के तौर पर 5 स्थानों से घी के सैम्पल लिए गए थे। इसमें से 3 सैम्पल में मिलावटी घी पाया गया है। जांच में मानकों के तहत घी में क्वालिटी नहीं थी। इस पर विभाग की ओर से आवश्यक कार्रवाई की गई। - दिलीपसिंह यादव, खाद निरीक्षण, पाली