
खबर में पढे़ कैसे ऋण माफी के नाम पर किसानो को सरकार ने पकड़ाया झुनझुना....
पाली. राज्य सरकार ने किसानों को ऋण माफी के नाम पर झुनझुना पकड़ा दिया। सरकार ने एक तरफ 50 हजार रुपए तक का ऋण माफ कर वाहवाही लूट ली, दूसरी तरफ किसानों को मिलने वाली केसीसी में करीब पचास फीसदी कटौती कर दी। इससे किसान खुद को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं। बारिश के ऐन मौके केसीसी में कटौती से किसानों को फिर से सेठ-साहुकारों के चक्कर काटने पड़ेंगे।
दरअसल, जिले के अधिकतर किसान बुवाई के समय किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत मिलने वाली राशि पर निर्भर रहते हैं। यह राशि बुवाई, खाद-बीज इत्यादि में उपयोग आती है। किसान साहुकारों के चंगुल में न फंसे इसलिए सरकार ने यह सुविधा शुरू की। किसान को यह पैसा बिना ब्याज मिलता है। लेकिन, इस बार जिला स्तरीय तकनीक सलाहकार समिति की बैठक में पहले की तुलना में फसलवार वित्तीय मापदण्ड प्रति हैक्टेयर 50 प्रतिशत तक कम दी। इससे हजारों किसानों को इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा हैं।
फिर साहूकारों की चगूंल में फंसेंगे किसान
केसीसी में कटौती के फैसले से किसान फिर साहूकारों के चुगंल में फंस रहे हैं। मानसून के आगमन के साथ फसलों की बुवाई के लिए ऋण की आस लगाए बैठे किसानों को अब पैसों के जुगाड़ में सेठ-साहुकारों के चक्कर काटने पड़ेंगे। केसीसी में उन्हें पिछले साल से आधी राशि ही उपलब्ध होगी।
समर्थन मूल्य भी नही मिल रहा समय पर
इधर, कई किसान जिन्होंने अपनी चने एवं सरसों की फसल अच्छे दाम की आस में समर्थन मूल्य पर बेची थी। उन्हें भी समय पर भुगतान नहीं मिल पाया हैं। एक तरफ भुगतान समय पर ना होने से परेशान किसानों की तकलीफ केसीसी लिमिट में कटौती ने और बढ़ा दी।
जिला स्तरीय तकनीक समिति द्वारा 2018-19 के लिए स्वीकृत फसलवार वित्तीय मापदण्ड प्रति हैक्टेयर
फसल का नाम - पहले - अब
गेंहू सिंचित - 60 हजार - 37 हजार
गेंहू असिंचित - 50 हजार - 20 हजार
बाजरा सिंचित - 30 हजार - 14 हजार
बाजरा असिंचित - 25 हजार - 13 हजार
चना सिंचित - 37 हजार - 26 हजार
चना असिंचित - 30 हजार - 21 हजार
मूंग असिंचित - 37,500 हजार - 18 हजार
सरसों सिंचित - 50 हजार - 29 हजार
सरसों असिंचित - 37,500 हजार - 17 हजार
ज्वार सिंचित - 30 हजार - 14 हजार
ज्वार असिंचित - 25 हजार - 13 हजार
ग्वार असिंचित - 37,500 हजार - 19 हजार
किसानों पर पड़ रही दोहरी मार
एक तो समर्थन मूल्य पर फसलें बेच रहे किसानों का समय पर भुगतान नहीं हो रहा। अब केसीसी की सीमा भी कम होने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही हैं।
-बाबुसिंह राजपुरोहित, अध्यक्ष, सरदार समंद कमांड क्षेत्र
साहूकारों के चुंगल में फंस रहा किसान
प्रति हैक्टेयर केसीसी की लिमिट कम होने से किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। मजबूरी में किसानों को भारी ब्याज पर साहूकारों से ऋण लेना पड़ेगा
- मोडाराम, जिलाध्यक्ष भारतीय किसान संघ।
Published on:
01 Jul 2018 04:00 pm
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