स्टॉप स्टिक की कीलें लगने और हवा निकलने के बावजूद तस्कर कार दौड़ते रहे।
पुलिस-तस्करों में हुई मुठभेड़ करीब 20 मिनट तक फिल्मी अंदाज में चली। लग्जरी कार में सवार दो तस्करों ने बचने की हर मुमकिन कोशिश की। लेकिन आखिर एक तस्कर पुलिस गोली का शिकार हो गया और दूसरा मौके से फरार हो गया। तस्करों ने पुलिस पर कई बार फायरिंग की, लेकिन पुलिस दल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। दरअसल, दिवेर की सतपालिया घाटी में नाकाबंदी से पहले खड़े पुलिसकर्मियों ने संदिग्ध गाड़ी निकलने की सूचना दी तो नाकाबंदी कर रहे जवानों ने सडक पर गाड़ी को पंक्चर करने के लिए स्टॉप स्टिक (कीलें लगा हुआ पट्टा) बिछा दी। जहां से नाकाबंदी तोड़ते हुए तस्करों भाग निकले तो डीएसटी टीम के चार पुलिसकर्मी कार में सवार होकर पीछा शुरू कर दिया।
करीब 5 किलोमीटर दूर तक पीछा करते हुए राजसमंद की टीम खिंवाड़ा थाना क्षेत्र में प्रवेश कर गई। पीछा करते देख कार सवार तस्करों ने पिस्टल और 12 बोर की बंदूक से फायर करना शुरू कर दिया। हथियार बदल-बदलकर उन्होंने कई राउण्ड फायर किए। स्टॉप स्टिक की कीलें लगने और हवा निकलने के बावजूद तस्कर कार दौड़ते रहे। आखिरकार तीन टायर निकल गए। इस पर तस्करों ने अंधेरे में सडक की एक तरफ कार खड़ी कर दी और सडक के बीच में आकर खड़े हो गए। वही पीछा कर रही पुलिस पर सडक के बीच खड़े दोनों तस्करों ने फायर करना शुरू कर दिया। पुलिस ने गाड़ी रोककर ज्योंही फाटक खोली तस्करों ने तोबड़तोड़ फायर किए, जिससे कार का दरवाजा छलनी हो गया। जवाब में पुलिस टीम ने भी फायर किए, जिसमें एक तस्कर के मुंह पर गोली जा लगी। दूसरा तस्कर पिस्टल से फायर करता हुआ अंधेरे में पहाड़ी क्षेत्र में भाग गया।
दो घंटे मार्ग बंद
दीवेर-कोट सोलंकियान मुख्य मार्ग पुलिस ने सुबह आठ बजे से बंद कर दिया था। जिसे दस बजे वापस सुचारू किया। वहीं तस्कर की कार खिंवाड़ा थाना में रखवाई। मार्ग बंद होने से राहगीरों व आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ा।
एडीजी क्राइम पहुंचे
मामले को एडीजी क्राइम दिनेश एमएन दोपहर बाद घटनास्थल पहुंचे। उन्होंने घटना स्थल का जायजा लेकर आईजी राघवेन्द्र सुहासा व एसपी गगनदीप सिंगला से मामले की जानकारी ली। एडीजी क्राइम ने बताया कि पुलिस और तस्करों के बीच फायरिंग हुई थी। जिसमें तस्कर ने टीम पर फायर किया और जवाबी फायरिंग में गोली लगने से तस्कर सुभाष की मौत हो गई। इधर, बांगड़ अस्पताल में परिजनों ने पुलिस से मांग की कि मामले की जांच सीबीआई करें। साथ ही जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाने, एनकाउंटर करने वाले डीएसटी टीम के इंचार्ज को बर्खास्त करने और एक करोड़ का मुआवजा देने की मांग रखी। इसके चलते शव का पोस्टमार्टम देर रात तक नहीं हुआ।
पुलिस की गाड़ी को बनाया निशाना
तस्करों ने पूरे घटनाक्रम के दौरान करीब 15 राउण्ड, जबकि पुलिस ने 10 राउण्ड फायर किए। तस्करों के पास 12 बोर और पिस्टल थी, वहीं पुलिस ने 12 बोर से 2, पिस्टल से 2 और एके-47 से करीब पांच राउण्ड फायर किए। पुलिस ने ज्यादातर फायर हवा में किए, जबकि तस्करों ने पुलिस की गाड़ी को निशाना बनाया।
घटनाक्रम बना संशय
सुबह से दोपहर तक घटनाक्रम में संशय रहा। पुलिस भी खुलासा करने से बचती रही। तस्करों की गाड़ी में कितना माल था। उनकी क्या पहचान है उनके पास कितने हथियार थे। पाली और राजसमंद जिले के पुलिस अधिकारी जानकारी देने से कतराते नजर आए।
बहादुरी से सामना
सब इंस्पेक्टर केसाराम, कमाण्डो हंसराज, कांस्टेबल शिवदर्शन व रामकरण पुलिस की गाड़ी में थे, जबकि दो अन्य पुलिसकर्मी नाकाबंदी से कुछ दूर पहले मौजूद थे, जो तस्करों की गाड़ी पर नजर रखे थे।
जांच पाली पुलिस करेगी
राजसमंद टीम तस्करों का पीछा करते हुए पाली जिले की सीमा में चली गई थी। जहां आमने-सामने मुठभेड़ हुई। पाली जिले का इलाका होने से मामला पाली में ही दर्ज हुआ है। जांच भी पाली पुलिस ही करेगी।
सुधीर जोशी, पुलिस अधीक्षक, राजसमंद