-सवा तीन साल से पद पर बने हैं सीरवी
पाली. कहते हैं सियासत में वरदहस्त हो तो आपका बाल भी बांका नहीं हो सकता। पाली जिला प्रमुख प्रेमाराम सीरवी भी कुछ ऐसे ही मिजाज के हैं। खुद के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों से चुनाव लडऩे का मामला दर्ज होने के बावजूद न तो सत्ता और न ही संगठन ने उनके खिलाफ कड़ा कदम उठाने में रूचि दिखाई। जबकि, कांग्रेस के करौली जिला प्रमुख अभयकुमार मीणा को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चुनाव लडऩे के आरोप में पंचायतराज विभाग ने निलम्बित कर दिया है। वहां के कलक्टर ने ही प्रथमदृष्टया अपनी जांच में उन्हें दोषी मान लिया था। प्रकरण पंचायतराज विभाग में गया और उन्हें पदच्युत होना पड़ा। भाजपा नेता और पाली जिला प्रमुख पेमाराम सीरवी के खिलाफ फरवरी 2015 में फर्जी दस्तावेजों से चुनाव लडऩे का मामला दर्ज हुआ था। हैरत यह है कि पुलिस और सीआईडी (सीबी) की जांच में जिला प्रमुख सीरवी की दसवीं की अंकतालिका फर्जी साबित हो चुकी है। इसके बावजूद सीरवी सवा तीन साल से न सिर्फ जिला प्रमुख पद पर बने हुए हैं, बल्कि सत्ता सुख भोगते हुए सरकारी सुविधाओं का पूरा उपयोग कर रहे हैं।
जिला प्रमुख सीरवी ने वर्ष 2015 में जिला परिषद सदस्य का चुनाव यूपी बोर्ड की दसवीं अंकतालिका के आधार पर लड़ा था। चौधरी की अंकतालिका को फर्जी बताते हुए उनके विरुद्ध 20 फरवरी 2015 को कोतवाली पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया। इस मामले में चार बार जांच अधिकारी बदले गए। सीआईडी(सीबी) से भी जांच कराई गई। उन्हें धारा 420, 410, 467, 120-बी, 191, 193, 197 तथा 198 के तहत दोषी माना गया था। इस मामले में पुलिस ने 7 सितम्बर 2017 को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। हालांकि, अब यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। लेकिन राज्य सरकार या पंचायत राज विभाग की ओर से जिला प्रमुख के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कांग्रेस का आरोप : एक प्रदेश में दो कानून
एक प्रदेश में दो कानून चल रहे हैं। राजनीतिक भेदभाव के चलते करौली जिला प्रमुख को हटाया गया है। जबकि ऐसा ही आरोप पाली जिला प्रमुख पर भी है। पुलिस की जांच में वे दोषी साबित हुए। वे सत्ता पक्ष से हैं, इसलिए उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं हो रही। यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
चुन्नीलाल चाड़वास, जिलाध्यक्ष कांग्रेस
भाजपा : पार्टी मंच पर नहीं आया मामला
जिला प्रमुख के विरुद्ध पार्टी मंच पर कोई मामला सामने नहीं आया था। इसलिए कार्रवाई का प्रश्न ही नहीं उठता। हालांकि, उनके विरुद्ध मामला न्यायालय में जरूर विचाराधीन है।
करणसिंह नेतरा, जिलाध्यक्ष, भाजपा