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बारिश के साथ ही मच्छरों का खतरा, रुकते ही डेंगू व मलेरिया की आशंका

जिले में 10 से ज्यादा क्षेत्रों को कर रखा है रेड एरिए में शामिल, चिकित्सा विभाग अभी से सक्रिय, मुख्य कारण बरसाती पानी की निकासी की नहीं सही व्यवस्था

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बारिश के साथ ही मच्छरों का खतरा, रुकते ही डेंगू व मलेरिया की आशंका

पाली. जिले में मानसून की सक्रियता के साथ ही जिलेभर में बरसात का दौर जारी है। कई क्षेत्रों में बरसाती पानी के निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने से मच्छरों के पनपने का खतरा बढ़ गया है। मच्छरों के पनपने से आने वाले दिनों में जिले में डेंगू व मलेरिया के मरीजों की संख्या बढ़ाने का अंदेशा है। चिकित्सा विभाग की मानें तो जिले में 10 ऐसे क्षेत्र है जहां बरसाती पानी की उचित निकासी व्यवस्था नहीं हो पाती है। उन क्षेत्रों से सबसे ज्यादा डेंगू व मलेरिया के मरीज सामने आते हैं। इन सभी क्षेत्रों को चिकित्सा विभाग ने डेंगू व मलेरिया के मरीज सबसे ज्यादा सामने आते हैं। जिलेभर में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए चिकित्सा विभाग की ओर से जिलेभर में 600 मेडिकल दल भी बना रखे है। यह दल बरसात के बाद घर-घर सर्वे करना शुरू कर देते है।

इन क्षेत्र में सबसे ज्यादा खतरा

चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिले में डेंगू व मलेरिया को लेकर जिले में 10 क्षेत्रों को रेड एरिए में शामिल कर रखा है। इसमें बाली, सुमेरपुर, रायपुर, पाली के कई क्षेत्रों को शामिल कर रखा है।

पाली शहर में भी कई क्षेत्र है प्रभावित

स्थानीय पाली शहर की बात करें तो पाली से गुजरने वाली नहर के सम्पर्क में आने वाले सभी क्षेत्र, पांच मौका पुलिया, नया गांव, सांसी बस्ती, बांडी नदी के किनारे का क्षेत्र सबसे ज्यादा मच्छरों से प्रभावित रहता है।

खाली प्लॉट भी बड़ी समस्या

शहर सहित जिलेभर की आवासीय बस्तियों में कई खाली प्लॉट पड़े है। इन्हे बरसात के बाद मालिक द्वारा साफ नहीं करवाया जाता है। नतिजा प्लॉट में इक्कठा पानी में मच्छर पनपते है। और इसी से क्षेत्र में डेंगू व मलेरिया जैसे गंभीर बीमारियों की चपेट में लोग आते है।

लोग स्वयं भी करे सुरक्षा

- बरसात के बाद इक्कठा होने वाले पानी में मच्छर का लार्वा काफी तेजी से फैलता है। इससे क्षेत्रों में मच्छर जनित डेंगू व मलेरिया की सम्भावनाएं बढ़ जाती है। लोगों को अपने घरों के आस-पास बरसाती पानी को इक्कठा नहीं होने देना चाहिए। अगर पानी इक्कठा हो गया है तो उसमें से लार्वा को नष्ट करने के लिए स्वयं भी कोशिश करनी चाहिए।

- डॉ. रविंद्रपालसिंह, बांगड़ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल