
जमीन को बंजर बना देगी ये स्लज!
पाली. प्रदूषित पानी की मार झेल रहे किसानों के सामने तेज बरसात आने पर एक नया संकट दस्तक दे सकता है। यह संकट है औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाली स्लज का। यह स्लज बहकर यदि खेतों तक पहुंच गई तो भूमि बंजर होने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है।
शहर में चल रही करीब 650 औद्योगिक इकाइयों से रोजाना बड़ी मात्रा में स्लज निकलती है। इसमें कैमिकल और अन्य हानिकारक तत्वों की मात्रा काफी रहती है। इसके बावजूद पाली में इसके निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। इस कारण इसे अन्य जगहों पर भेजा जाता है। अभी हालात यह है कि पुनायता औद्योगिक क्षेत्र स्थित ट्रीटमेंट संख्या तीन व चार से सटे डम्पिंग यार्ड और प्लांट संख्या छह में करीब 3000 टन स्लज पड़ी है। जो बरसात आने पर उसके पानी के साथ बहकर बांडी नदी, नेहड़ा बांध और खेतों तक भी पहुंच सकती है। इधर, सीइटीपी के अधिकारी स्लज को भीगने से बचाने और बहने से रोकने के लिए पूरे इंतजाम करने का कह रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि हाल ही में हुई बरसात से ही ट्रीटमेंट प्लांट तीन व चार से सटे डम्पिंग यार्ड में स्लज भीग चुकी है।
करीब 3300 टन स्लज का निस्तारण
सीइटीपी की माने तो अब तक वह 3300 टन से अधिक स्लज का निस्तारण करवा चुका है। यह स्लज निस्तारण के लिए बालोतरा व रास की एक सीमेन्ट इकाइ में भेजी गई थी।
यह करवाई व्यवस्था
सीइटीपी के पदाधिकारियों की माने तो स्लज को भीगने से बचाने के लिए प्लांट संख्या छह व चार में शेड लगा दिए गए है। इसके अलावा स्लज को बहने से रोकने के लिए ट्रेंच (नाली) बनवाई है। जिससे बरसात में स्लज के बहने पर वह नालियों में जमा हो जाए और उसे मड पम्प लगाकर फिर से एकत्रित किया जा सके।
यूं करते है निस्तारण
स्लज का निस्तारण दो तरह से किया जाता है। एक विधि में स्लज को सीमेंट इकाइयों में जलाया जाता है। जबकि दूसरी विधि में स्लज को उपचारित करने के बाद उसे प्लास्टिक के बोरों में भरा जाता है। इन बोरों को बजंर भूमि पर लेमीनेट किए हुए गड्ढे में डम्प किया जाता है। जिससे इस स्लज से भविष्य में भी किसी तरह का नुकसान नहीं हो।
बोर्ड निर्देश दे रहा
स्लज का निस्तारण करने के लिए पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड निर्देश दे रहा है। हम स्लज का निस्तारण कराने का प्रयास भी कर रहे हैं।
राजीव पारीक, आरओ, पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, पाली
पुख्ता व्यवस्था की
स्लज को बरसात में बहने से रोकने के लिए पुख्ता व्यवस्था की है। खुले में पड़ी स्लज को ढकने के लिए प्लास्टिक के तिरपाल लगाए है। शेड बनाए है। इसके अलावा ट्रेंच भी बनाई है।
अनिल मेहता, अध्यक्ष, सीइटीपी, पाली
Published on:
17 Jul 2018 10:23 am
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