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राजस्थान में यहां बचकर चलें, बड़ी संख्या में फैल रही है यह बीमारी

Eye Flu In Rajasthan : राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में पिछले एक पखवाड़े से आई फ्लू के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। बड़ी बात यह है कि इस वायरस की चपेट में सबसे ज्यादा स्कूली बच्चे आ रहे हैं। बारिश के मौसम में फैलने वाले इस वायरस ने पाली, जालोर और सिरोही को अपेट में ले ऱखा है और घर-घर में आई फ्लू के मरीज दिखाई देने लगे हैं।

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Eye Flu In Rajasthan : राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में पिछले एक पखवाड़े से आई फ्लू के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। बड़ी बात यह है कि इस वायरस की चपेट में सबसे ज्यादा स्कूली बच्चे आ रहे हैं। बारिश के मौसम में फैलने वाले इस वायरस ने जोधपुर, पाली, जालोर और सिरोही को अपेट में ले ऱखा है और घर-घर में आई फ्लू के मरीज दिखाई देने लगे हैं। बचाव के लिए चिकित्सकों की सलाह है कि हाथों को बार-बार धोएं ताकि किसी प्रकार का वायरस या गंदगी नहीं रहे। उधर, रोजमर्रा की अपनी चीजों को दूसरों से शेयर नहीं करें।

बारिश में एकिट्व होता है वायरस
मारवाड़ की बात करें तो पाली, जालोर, सिरोही और आसपास के इलाकों में इन दिनों आई फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में फ्लू के मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। इस फ्लू को साइंस की भाषा में कंजक्टिवाइटिस वायरस कहते है और आम भाषा में आंख आना कहते हैं। यह बीमारी ज्यादातर बारिश के सीजन में फैलती है। बारिश के सीजन में नमी के कारण बैक्टिरिया और वायरस बहुत ज्यादा एक्टिव होते हैं। इसकी वजह से आंखें लाल होने के साथ ही उसमें सूजन हो जाती है। शहर में इस तरह के मामले ज्यादातर स्कूलों से आ रहे हैं। कक्षा में किसी एक बच्चे में फैला यह संक्रमण सम्पर्क में आए दूसरे बच्चों में बहुत जल्दी फैलता है। ऐसे में कक्षा के बच्चे और उसके परिजन भी उसकी चपेट में आ जाते हैं। हालांकि यह बीमारी देखने से नहीं फैलती है। हालाकि यह बीमारी करीब 5 से 7 दिन में ठीक हो जाती है।

यह है कंजक्टिवाइटिस
आंखों में एक पारदर्शी पतली झिल्ली, कंजक्टिवा होती है जो हमारी पलकों के अंदरूनी और आंखों की पुतली के सफेद भाग को कवर करती है, इसमें सूजन आने या संक्रमित होने को कंजक्टिवाइटिस या आंख आना कहते हैं। जब कंजक्टिवा की छोटी-छोटी रक्त नलिकाएं सूज जाती हैं, तब ये अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगती हैं और आंखों का सफेद भाग लाल या गुलाबी दिखने लगता है। इसलिए इसे पिंक आई भी कहा जाता है। छोटे बच्चों में टियर डक्ट (अश्रु नलिका) के पूरी तरह खुला न होने से भी अक्सर पिंक आई की समस्या हो जाती है।

दिखाई देने लगते हैं यह लक्षण
- एक या दोनों आंखों का लाल या गुलाबी दिखाई देना।
- एक या दोनों आंखों में जलन या खुजली होना।
- आसामान्य रूप से अधिक आंसू निकलना।
- आंखों से पानी जैसा या गाढ़ा डिस्चार्ज निकलना।
- आंखों में किरकिरी महसूस होना।
- आंखों में सूजन आ जाना, यह लक्षण आमतौर पर एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस के कारण दिखाई देते हैं।

यह करें बचाव के उपाय
- अपनी आंखों को अपने हाथ से न छुएं।
- जब भी जरूरी हो अपने हाथों को धोएं।
- अपनी निजी चीजों जैसे तौलिया, तकिया, आई कॉस्मेटिक्स (आंखों के मेकअप) आदि को किसी से साझा न करें।
- अपने रूमाल, तकिये के कवर, तौलिये आदि चीजों को रोज धोएं।

क्या कहते हैं चिकित्सक
पिछले दो दिन में कंजक्टिवाइटिस वायरस के मामले बढ़े है। हमारे पास प्रतिदिन करीब 50 मामले आ रहे है। इसके अलावा निजी अस्पतालों में भी मरीज जा रहे है। यह फ्लू सामान्यत: 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है। यह देखने से नहीं बल्कि छूने या सम्पर्क में आने से फैलता है। हालांकि यह संक्रमण 90त्न स्वत: ही ठीक हो जाता है, फिर भी चिकित्सक से परामर्श लेकर उपचार लेना चाहिए। इससे आंखों की रोशनी जाने का कोई खतरा नहीं होता है।
- रामेश्वरलाल सुथार, नेत्र रोग विशेषज्ञ, नेत्र चिकित्सालय जालोर