-स्कूलों में बरसात आते ही छुट्टी, कक्षा-कक्षों की छत से टपकता है पानी
पाली। शिक्षा वह भी खौफ के साये में...यह स्थिति पाली के तीन स्कूलों की है। राजकीय माध्यमिक विद्यालय ठाकुरवास मलसाबावड़ी, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय इटन्दरा मेड़तियान व राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सिवास। इन तीनों स्कूलों के विद्यालय भवन 70 प्रतिशत तक जर्जर हो चुके हैं, जो कभी भी गिर सकते है। इनका शिक्षा विभाग सर्वे करवा चुका है। इसके बावजूद इसमें विद्यार्थियों को अध्ययन करवाया जा रहा है। ग्रामीणों के साथ शिक्षकों तक को हर पल हादसे की आशंका सताती है, लेकिन वे अध्ययन कराने को मजबूर है।
आठ कक्षाओं में टपकता पानी, जर्जर कमरे, अब एक कक्षाकक्ष
गुंदोज। इटन्दरा मेड़तियान गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में जर्जर कमरों को गिराने के बाद महज एक कक्षा कक्ष शेष रहा है। अन्य दो कक्ष में से एक स्टॉफ रूम व दूसरा कार्यालय के रूप में काम आ रहा है। स्कूल में कक्षा 12 तक के 166 विद्यार्थी बाहर मैदान में बैठकर अध्ययन कर रहे है। बरसात आते ही छुट्टी करनी पड़ती है। सरपंच भंवरलाल सीरवी ने बताया कि स्कूल के हालात को लेकर कई बार शिक्षा विभाग के प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कक्षा कक्षों के अभाव में अध्ययन कराने की महज औपचारिकता निभाई जा रही है।ं बाहर मैदान में बैठकर अध्ययन कर रहे है। बरसात आते ही छुट्टी करनी पड़ती है। सरपंच भंवरलाल सीरवी ने बताया कि स्कूल के हालात को लेकर कई बार शिक्षा विभाग के प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कक्षा कक्षों के अभाव में अध्ययन कराने की महज औपचारिकता निभाई जा रही है।
स्कूल में भर जाता है पानी
खिंवाड़ा। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सिवास में बने 20 कमरों में से आठ कभी भी गिर सकते है। इस कारण उनको बंद कर दिया गया है। शेष 12 कमरों में से 8 में पानी टपकता है। उस टपकते पानी के बीच ही विद्यार्थी बैठकर अध्ययन कर रहे है। इस 250 नामांकन वाले विद्यालय में पूरी 12 कक्षाएं तक कक्षों में नहीं बैठ पाती है। कई बार विद्यार्थियों को बरामदे में या मैदान में बैठाकर अध्ययन करना पड़ता है। अरावली क्षेत्रीय विकास समिति के नगर प्रमुख मंगलप्रसाद का कहना है कि स्कूल भवन जर्जर है। विद्यार्थियों पर मौत मंडरा रही है। शिक्षा विभाग या जनप्रतिनिधियों को परवाह ही नहीं है।
राणावास। राजकीय प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय ठाकुरवास में 77 विद्यार्थी पढ़ रहे है। इस स्कूल का भवन तो जर्जर है ही बरसात आते ही सभी कक्षों में पानी भर जाता है। यहां एक कमरा पहले ढह भी चुका है, लेकिन हादसा टल गया था। इसके बावजूद आज तक उन्हीं जर्जर कमरों में अध्ययन कराया जा रहा है। जिला परिषद सदस्य सज्जन चौधरी व ग्रामीण मांगीलाल राठौड़ ने बताया कि स्कूल में बरसात आते ही विद्यार्थियों को घर भेज दिया जाता है। कमरे तो तालाब बन जाते है। इस स्कूल में पिछले साल 86 विद्यार्थी ं थे। इनमें से खौफ के कारण 9 अभिभावकों ने विद्यार्थियों को स्कूल छुड़वा दिया।