
Five elephants landed in core zone in search of cubs
पन्ना. टाइगर रिजर्व में तीन दिन पहले शनिवार को मृत पाई गई युवा बाघिन पी-२१३(३२) के चार शावक अपनी मां की टेरिटरी से लापता हो गए थे। बाघिन की टेरिटरी कोर जोन के गहरीघाट रेंज थी और शावकों के साथ होने पर वह कोनी बीट पर ही ज्यादा वक्त गुजारती थी। बाघिन की मौत के ५० घंटे तक चार में से किसी भी शावक की लोकेशन नहीं मिलने से टाइगर रिजर्व प्रबंधन के हाथ-पैर फूलने लगे। शनिवार से पांच हाथी कोर जोन में उतार कर शावकों को तलाशा जा रहा था। फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा खुद पचास लोगों की टीम को लीड कर रहे थे। टीम को सोमवार की शाम करीब ५ बजे कोनी नाले के पास एक शावक की हलचल मिली। उस दिशा मे ंजब दो हाथी भेजे गए तो शावक गुर्राकर झाडिय़ों में छिप गया। कुछ ही देर में बाकी तीनों शावक भी नजर आ गए। शावकों को ५० घंटे बाद सुरक्षित देखकर टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अधिकारियों ने राहत की सांस ली। इसके साथ ही ५० घंटे से ज्यादा चला रेस्क्यू खत्म कर दिया गया। बताया गया कि शावक स्वस्थ्य नजर आ रहे थे।
शावकों की लगातार होगी निगरानी
फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि फिलहाल शावक नर बाघ पी-२४३ के साथ ही हैं। यदि वह शावकों को मारना चाहता तो अभी तक मार डालता। टीमें लगातार शावकों की निगरानी करेंगी। यदि बाघ आगे शावकों का त्याग करता है तो फिर प्रबंधन आगे कोई प्लान बनाएगा। करीब ८ माह के शावकों को उनके भाग्य पर यूं ही नहीं छोड़ा जाएगा। पिछले वर्ष लगातार बाघों की मौत की वजह से विवादों में रहे पन्ना टाइगर रिजर्व में जनवरी में तब खुशी लहर छाई थी जब बाघिन पी-213 (32) अपने 4 नन्हे शावकों के साथ टाइगर रिजर्व में पहली बार देखी गई थी। तब शावक तीन-चार माह के थे अब करीब ७-८ माह के हो चुके हैं। बताया गया कि बाएं पैर में सक्रमण से मरी बाघिन मौत से पहले अपने शावकों को शिकार के दांव-पेंच सिखाने लगी थी।
पी-२४३ बाघ बना शावकों का संरक्षक
बाघों की दुनिया में एक अनोखा मामला पन्ना टाइगर रिजर्व में अधिकारियों को देखने को मिला। फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि जिस जगह चारों शावक मिले वहां नर बाघ पी-२४३ का मूवमेंट है। यही बाघ इन चारों शावकों का पिता भी माना जाता है। बताया कि चारों शावक देखने में तंदुरुस्त लग रहे थे। वे भूखे नहीं लग रहे थे। कुछ दूर पर एक किल भी मिला है ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि बाघ के शिकार को शावकों ने भी खाया होगा। शावक ७-८ माह के बताए जा रहे हैं ऐसे में शिकार करने में अक्षम होने के चलते उनका भूख से बेहाल होने के याल से ही रिजर्व के अधिकारी परेशान थे। अधिकारियों की चिंता की बड़ी वजह यह थी कि यदि शावक जंगल में भटक कर किसी नर बाघ की टेरिटरी में घुसे तो उन्हें जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है। चारों शावकों की मां बाघिन पी-२१३(३२) की टेरिटरी में एक युवा नर बाघ पी-२४३ का मूवमेंट रहता है। फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार के मुताबिक इस नर बाघ से शावकों को जान का खतरा नहीं है। यही बाघ शावकों का पिता बताया जा रहा है।
Published on:
18 May 2021 12:23 am
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