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पन्ना नगरी में दिखी मथुरा-वृंदावन की झलक, मंदिरों में देर रात तक चला श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, भक्तों की उमड़ी भीड़

जन्माष्टमी पर जिलेभर में हुए आयोजन, कई जगह दही हांडी और कृष्ण रूप सज्जा प्रतियोगिताएं, भगवान जुगल किशोर की एक झलक पाने उमड़े श्रद्धालु

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janmashtami celebration in panna madhya pradesh

janmashtami celebration in panna madhya pradesh

पन्ना। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर शहर मथुरा-वृंदावन की तरह नजर आया। चारों ओर बुंदेली लोकगीत मुरलिया में हीरा जड़े हैं सुनाई दे रहा था। रात 12 बजे जुगल किशोर मंदिर परिसर जयकारों से गूंज उठा। करीब आधे घंटे तक आतिशबजी का दौर चला। इस दौरान हजारिया से भगवान की आरती उतारी गई। भजन संध्या में बाहर से आए कलाकारों शानदार भजनों की प्रस्तुति दी।

देर रात तक मंदिर परिसर में श्रद्धलुओं का जमावड़ा लगा रहा। मंदिर परिसर में रात 10 बजे से ही श्रद्धालुओं भीड़ उमडऩे लगी। रात 12 बजे तक तो हालत यह थी कि मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं को पैर रखने की भी जगह नहीं मिल रही थी। रात 11.30 बजे गाजे-बाजे के साथ गोविंदजी मंदिर में जन्मोत्सव मनाया गया, इसके बाद श्रद्धालु किशोरजी मंदिर पहुंचे।

जमकर अतिशबाजी
रात 12 बजते ही मंदिर के पट खुल गए। एक ओर जहां पूरा मंदिर परिसर कन्हैया के जयकारों से गूंज रहा था वहीं दूसरी ओर पूरा शहर आतिशबाजी से। मंदिर परिसर में देररात तक महिलाओं के बधाई गीत और भजन चलते रहे। भगवान का जन्मोत्सव देखने के लिए पन्ना सहित आसपास के शहरों और जिलों से भी लोग आए थे। प्राणनाथ मंदिर में जन्मोत्सव को लेकर देशभर से श्रद्धालु पहुंचे थे। यहां भजन-कीर्तन के बीच रात 12 बजे जन्मोत्सव मनाया गया।

डायवर्ट रहा वाहनों का रूट
श्रद्धालुओं की भीड़ देखते हुए दिन में मंदिर जाने वाले दोनों प्रमुख मार्गों पर चार पहिया वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। भीड़ बढऩे पर शाम को दो पहिया वाहनों को भी प्रतिबंधित कर दिया गया। यातयात पुलिस ने रूट डायवर्ट करके मंदिर आने वाले वाहनों के लिए लवकुश वाटिका और महेंद्र भवन को पार्किंग की व्यवस्था की थी। इस अवसर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पुलिस के साथ होम गार्ड के जवान भी सुरक्षा में मुस्तैद थे।

भजन संध्या में झूमे श्रद्धालु
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को लेकर भगवान जुगल किशोर मंदिर में भजन संध्या का भी आयोजन किया गया था। रात करीब ९ बजे से कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी जाने लगी थीं। भजन का कार्यक्रम जन्मोत्सव के बाद भी देर रात तक चलता रहा।

बालरूप में घर-घर सजे बच्चे
इस अवसर पर लोगों ने घरों में बच्चो को नन्हें कन्हां के रूप में आकर्षक तरीके से सजया था। पीले वस्त्रों में सजे बच्चे हाथों में मुरली और सिर पर मोर पंख लगाए थे। आकर्षक तरीके से सजाए गए बच्चों का सौंदर्य देखते ही बन रहा था।