
Mata Saraswati
पन्ना/अजयगढ़. जिले के अजयगढ़ कस्बा में स्थित जिले का इकलौता देवी सरस्वती का मंदिर अनूठा है। यहां करीब 81 साल पहले काशी के 108 पंडि़तों द्वारा माता सरस्वती के अष्टधातु के प्रतिमा की वैदिक मंत्रोच्चार के साथ स्थापना कराई थी। अजयगढ़ रियासत के तत्कालीन महाराज भोपाल सिंह ने जर्मनी से देवी सरस्वती की अष्टधातु की प्रतिमा मंगाई थी, जिसे कोलकाता तक शिप से लाया गया था। वहां से अतर्रा तक ट्रेन से और उसके बाद वहां से विशेष वाहन से देवी की प्रतिमा अजयगढ़ के इस भव्य मंदिर तक लाई गई थी। अजयगढ़ का सरस्वती मंदिर तत्कालीन महाराज भोपाल सिंह ने बनवाया था। बताया जाता है कि अजयगढ़ महाराज भोपाल सिंह देवी उपासक थे। इनके द्वारा जर्मनी से देवी सरस्वती की प्रतिमा मंगाई गई थी। मूर्ति पानी के जहाज द्वारा कोलकाता तक मंगवाई। वहां से ट्रेन द्वारा अतर्रा स्टेशन तक मूर्ति लायी गई। उसके बाद अतर्रा से महराज के वाहन से द्वारा मूर्ति को अजयगढ़ रियासत तक लाया गया।
मंदिर प्रांगड़ के सामने लिखे शिलालेख
मंदिर प्रांगड़ के सामने लिखे शिलालेख में लेख है कि मंदिर निर्माण संवत 1995 में कराया गया। जहां काशी से 108 विद्वान पंडितों ने आकर विधि-विधान व मंत्रोच्चार से मूर्ति की स्थापना की थी। मां स्वरस्वती की आदम आकर मूर्ति की स्थापना में तत्कालीन महराज भोपाल सिंह व उनके पुत्र तत्कालीन युवराज पुण्य प्रताप सिंह व उनके नाती देवेंद्र विजय सिंह की उपस्थिति में प्रतिमा को स्थापित किया गया था। इस अद्वितीय मूर्ति का वजन लगभग 150 किलोग्राम है। उक्त मंदिर लगभग 82 वर्ष पुराना हो चुका है।
आकर्षक लाइटिंग से जगमगाया मंदिर
मंदिर के मुसद्दी छेदी लाल रजक ने बताया, इस बार कोरोना की तीसरी लहर के चलते वसंत पंचमी के अवसर पर कोरोना गाईड लाइन का पालन कराया जाएगा। मंदिर की पुताई, साज-सज्जा हो चुकी है। मंदिर परिसर में आकषर्क लाइटिंग से सजाया गया है। बसंत पंचमी के अवसर पर सभी दर्शन करने वाले लोगों को मंदिर के मुख्य गेट को सेनेटॉइज किया जाएगा। सभी लोग मास्क लगाकर मंदिर परिसर में प्रवेश करेंगे। बसंत पंचमी के दिन हवन पूजन, कन्या भोज किया जायेगा। मुसद्दी ने बताया कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष प्रसाद मंदिर परिषद में बैठ कर ग्रहण नहीं होगा। दिनभर प्रसाद का वितरण किया जाएगा। जो लोग दर्शनों व प्रसाद के लिए मंदिर प्रांगण पहुंचे। वह शासन की कोरोना गाईड लाइन का पालन जरूर करें। प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी बसंत पंचमी परंपरागत तरीके से मनाई जाएगी। सभी दरणार्थी कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग करें।
मंदिर में दो बार हुई चोरी की वारदात
यह मंदिर एक तरह से काफी असुरक्षित है। यहां स्थापित दुर्लभ प्रतिमा की सुरक्षा के लिए कोई भी इन्तिजाम नहीं किए गए गए हैं। यह आदम आकर की अष्टधातु की मूर्ति हमेशा चोरों के निशाने पर भी रही है। इस मंदिर में दो बार चोरी के प्रयास हो चुके हंै। एक बार तो मूर्ति उखाडऩे में चोर असफल रहे परन्तु मूर्ति का हंस काटकर ले गए, कुछ समय बाद पुलिस ने चोरों व चोरी हुए हंस को पकड़ लिया था। इससे पहले मंदिर से इनवर्टर और बैटरी भी चोरी हो चुकी थी।
Published on:
05 Feb 2022 01:35 am
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