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बिहार में एक साथ 12 अधिकारी निलंबित, कर रहे थे बड़ा खेल, जांच में आई चौंकाने वाली बातें

बिहार में घटिया अनाज की आपूर्ति और बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के खुलासे के बाद 12 अधिकारियों को निलंबित किया गया है। मामले में जांच चल रही है आगे भी निलंबन की कार्रवाई हो सकती है।

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शिक्षा विभाग शर्मसार (Photo source- Patrika)

शिक्षा विभाग शर्मसार (Photo source- Patrika)

बिहार में जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दुकानों में घटिया खाद्यान्न आपूर्ति का बड़ा खेल सामने आया है। खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की चल रही जाँच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आने के बाद एक साथ 12 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। विभाग द्वारा चलाए जा रहे सतत निगरानी एवं विशेष जाँच अभियान के तहत यह कार्रवाई की गई है।

घटिया अनाज पहुंचाने पर कार्रवाई

निलंबित अधिकारियों में 6 सहायक प्रबंधक और 6 गुणवत्ता नियंत्रक शामिल हैं। विभागीय जाँच में पाया गया कि ये अधिकारी अपने दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरत रहे थे और उनकी निगरानी में राशन दुकानों तक घटिया अनाज पहुँचाया जा रहा था। कई जगहों पर खाद्यान्न समय पर नहीं पहुँचा, कई जगहों पर गुणवत्ता मानक से कम पाई गई और वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ सामने आईं।

10,735 दुकानों को नोटिस

इससे पहले शुक्रवार को 6 आपूर्ति निरीक्षकों और प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारियों को भी निलंबित किया गया था। विभाग ने पूरे राज्य में "शून्य कार्यालय दिवस" ​​अभियान के तहत विशेष जाँच शुरू कर दी है। इस दौरान खाद्यान्न की गुणवत्ता, मात्रा और समय पर उपलब्धता की बारीकी से समीक्षा की जा रही है। अब तक कुल 53,869 राशन दुकानों में से 49,209 का निरीक्षण पूरा हो चुका है। जाँच में 10,735 दुकानों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। 108 दुकानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और 178 दुकानों का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है।

कागजों पर हुआ अनाज वितरण

जाँच ​​में यह भी सामने आया है कि कई जगहों पर कागजों पर अनाज वितरण दर्ज किया गया, लेकिन हकीकत में गरीबों तक अनाज पहुँचा ही नहीं। कई जगहों पर पुराना और खराब अनाज दिया जा रहा था। कुछ जगहों पर वितरण केंद्रों पर स्टॉक की कमी का हवाला देकर वास्तविक ज़रूरतमंदों को अनाज नहीं दिया जा रहा था। सरकारी सूत्रों के अनुसार, निलंबित अधिकारी बड़े पैमाने पर अनियमितताओं में संलिप्त पाए गए हैं। जाँच प्रक्रिया अभी जारी है और कई अन्य अधिकारियों और दुकानदारों के खिलाफ भी कार्रवाई की उम्मीद है।

जांच पूरी होने तक होती रहेगी कार्रवाई

जानकारों का मानना ​​है कि यह मामला सिर्फ़ राशन वितरण का नहीं है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का एक बड़ा उदाहरण है। सरकार ने साफ़ कहा है कि जनता के हितों से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जाँच पूरी होने तक कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी। अब देखना यह है कि इस कार्रवाई के बाद राज्य की राशन व्यवस्था में कितना सुधार आता है और क्या आगे और बड़े नाम उजागर होंगे। फिलहाल बिहार में खाद्य आपूर्ति में लापरवाही को लेकर सरकार का यह बड़ा कदम राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।