
बिहार में SIR को लेकर चुनाव आयोग का बयान आया है। ANI
Bihar Voter List : बिहार के वोटरों को फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है। अगर किसी का नाम ड्राफ्ट लिस्ट से हटता भी है तो 1 अगस्त से 1 सितंबर के बीच में वह फिर से जुड़ सकता है। बिहार में वोटर लिस्ट के Special Intensive Revision (SIR) को लेकर चल रही सियासत के बीच चुनाव आयोग का यह बयान आया है। उसने कहा कि इस ड्राइव का मकसद कोई भी मतदाता छूटे नहीं, यह सुनिश्चित करना है। आयोग ने विपक्ष के उस दावे को भी खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि इस प्रक्रिया के कारण करोड़ों मतदाता वोटिंग के अधिकार से वंचित हो सकते हैं। यही नहीं आयोग ने SIR के 10 प्रमुख उद्देश्य बताएं हैं।
1; सभी मतदाताओं और राजनीतिक दलों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
2; कोई पात्र मतदाता छूटे नहीं, चाहे वह किसी भी इलाके का हो।
3; जो लोग बिहार से अस्थायी रूप से बाहर हैं, वे भी छूटे नहीं।
4; शहरी इलाकों के मतदाता भी पूरी तरह कवर हों।
5; युवा मतदाताओं की भागीदारी भी बढ़े।
6; सभी स्तर पर चुनाव स्टाफ और वॉलंटियर्स की मदद करना।
7; गिनती (एनुमरेशन) के दौरान उठी शिकायतों का समाधान।
8; राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) की सक्रिय भागीदारी।
9; हर नाम की दोहराव और त्रुटियों की समीक्षा।
10; दावे और आपत्तियों के लिए समय देना ताकि योग्य लोग जुड़े रह सकें।
विपक्षी दलों का आरोप है कि लाखों मतदाताओं को ड्राफ्ट रोल से बाहर किया जा रहा है। उनका कहना है कि जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं, वे वंचित हो जाएंगे और इससे बीजेपी को फायदा हो सकता है। जवाब में EC ने कहा है कि ड्राफ्ट रोल को फाइनल लिस्ट बताकर भ्रम फैलाया जा रहा है। आयोग ने बताया कि पहले चरण के अंत (25 जुलाई) तक 7.24 करोड़ यानी 91.69% मतदाताओं ने फॉर्म भर दिए हैं। वहीं, 36 लाख लोग ऐसे पाए गए जो या तो स्थायी रूप से अपने पते से जा चुके हैं या फिर पाए नहीं गए। 7 लाख से ज्यादा ऐसे वोटर मिले जिनके नाम कई जगहों पर दर्ज थे।
चुनाव आयोग ने साफ किया कि 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे-आपत्तियों का मौका है। जिनके नाम हटे हैं या हटने वाले हैं, वे उचित दस्तावेजों के साथ दोबारा नाम जुड़वाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। अभी जो ड्राफ्ट रोल आएगा वह फाइनल नहीं है। फाइनल लिस्ट 30 सितंबर को प्रकाशित होगी।
आयोग ने कहा कि जब नाम जोड़ने या हटाने को लेकर 1 महीने का समय दिया गया है, तो अभी से गलत जानकारी क्यों फैलाई जा रही है। विपक्षी दल अपने 1.6 लाख बूथ लेवल एजेंट्स से वास्तविक स्थिति क्यों नहीं पता कराते? आखिर वे क्यों इस प्रक्रिया को BJP के पक्ष में बता रहे हैं? आयोग ने भरोसा दिलाया कि हर योग्य वोटर को सूची में शामिल किया जाएगा। किसी को नहीं हटाया जाएगा। बीएलए की संख्या में 16% बढ़ोतरी हुई है, यानी दल खुद भी इस प्रक्रिया में सक्रिय हैं।
Updated on:
28 Jul 2025 12:56 pm
Published on:
28 Jul 2025 12:55 pm
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
पटना
बिहार न्यूज़
ट्रेंडिंग
