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रोजगार मांगने पर लाठी.. संविदा कर्मियों पर लाठीचार्ज पर राहुल का तंज, कहा- एनडीए सरकार की उल्टी गिनती शुरू…

बीजेपी कार्यालय के सामने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे संविदा कर्मियों पर पुलिस लाठीचार्ज का मुद्दा अब राजनीतिक मुद्दा बन गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इससे जुड़ा एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि रोजगार मांगने पर मिलती है लाठी.. अधिकार की जगह मिलता है अत्याचार।

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संविदा कर्मियों पर पुलिस लाठीचार्ज। फोटो- सोशल मीडिया

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले संविदा कर्मियों पर पुलिस के लाठीचार्ज पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक्स पर लिखा कि रोजगार मांगने पर मिलती है लाठी, अधिकार की जगह मिलता है अत्याचार। बिहार के युवा अबकी बार इस NDA सरकार को उसकी असली जगह दिखाएंगे, उल्टी गिनती चालू हो गई है।

संविदा कर्मियों पर लाठी चार्ज पर कांग्रेस का तंज

राहुल गांधी के पोस्ट के बाद कांग्रेस ने भी एक्स पर लिखा है बिहार में संविदा कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर पटना में बीजेपी कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया। सरकार उनकी बात सुनने की जगह पुलिस को बुलाकर प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कराया। जिसमें कई कर्मी घायल हो गए। यह घटना बताती है कि राज्य में नीतीश कुमार और केंद्र में मोदी सरकार अत्याचार की सरकार बन गई है। लेकिन जल्द ही इस अत्याचार का खात्मा होगा, बिहार की जनता अकल ठिकाने लगाएगी।

लाठी चार्ज का मुद्दा गर्म

जमीन मापी से जुड़े संविदा कर्मियों पर बुधवार को हुए पुलिस लाठीचार्ज का मुद्दा गर्मा गया है। कांग्रेस इस मामले पर सरकार को कठघरे में खड़ा करने में लगी है। बुधवार को संविदा कर्मियों का बीजेपी ऑफिस के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। संविदा कर्मियों की ओर से जोरदार नारेबाजी की जा रही थी। काफी भीड़ जुट गई थी। स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस ने पहले प्रदर्शन कर रहे लोगों को शांतिपूर्वक समझाने की कोशिश की, लेकिन जब प्रदर्शनकारी पीछे हटने को तैयार नहीं हुए तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था। जिसमें कई प्रदर्शनकारियों को चोटें आईं। कुछ प्रदर्शनकारियों के सर फटने की बात भी सामने आ रही है।

संविदा कर्मियों का आरोप

इस लाठीचार्ज के बाद प्रदर्शनकारियों में भारी आक्रोश है। पुलिस की कार्रवाई को इन लोगों ने अनुचित और दमनकारी करार दिया है। आंदोलन करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है। एक महीने से शांतिपूर्ण धरने पर बैठे हैं। लेकिन, सरकार सुनने को तैयार नहीं हैं। प्रशासन का कोई अधिकारी बातचीत करने को तैयार नहीं है।