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Bihar Teacher Transfer: 17,000 शिक्षक अभी भी ट्रांसफर के इंतज़ार में, शिक्षा विभाग ने नए विकल्प चुनने की दी सुविधा

Bihar Teacher Transfer: बिहार में 41,689 शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया में 24,600 शिक्षकों का तबादला हो चुका है, लेकिन 17,000 शिक्षक अभी भी इंतज़ार कर रहे हैं। शिक्षा विभाग ने इन शिक्षकों को 23-28 सितंबर के बीच नए विकल्प चुनने का मौका दिया है।

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Bihar Teacher Transfer: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने अंतर-जिला शिक्षक स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस पहल को लेकर राज्यभर के शिक्षकों में खासा उत्साह देखा गया। विभाग की ओर से 5 सितंबर से 13 सितंबर 2025 तक ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन लिए गए, जिसमें कुल 41,689 शिक्षकों ने ट्रांसफर के लिए आवेदन किया।

जिन शिक्षकों ने पोर्टल पर ट्रांसफर के लिए आवेदां किए उसमें 17,960 महिला शिक्षक और 23,729 पुरुष शिक्षक शामिल हैं। वर्गवार देखें तो नियमित शिक्षकों से 617, विशिष्ट शिक्षक से 12,370 और विद्यालय अध्यापक (BPSC) से 28,702 आवेदन प्राप्त हुए। कक्षा-वार आवेदन की बात करें तो 1 से 5 तक के लिए 17,382, 6 से 8 के लिए 6,600, 9 से 10 के लिए 8,341 और 11 से 12 के लिए 9,366 शिक्षकों ने आवेदन किया।

24,600 शिक्षकों का हुआ ट्रांसफर

शिक्षा विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, लगभग 24,600 शिक्षकों को उनके द्वारा दिए गए तीन विकल्पों में से किसी एक जिले में स्थानांतरण किया जा चुका है। इनमें से 9,900 महिला शिक्षक और 14,700 पुरुष शिक्षक हैं। खास बात यह है कि दिव्यांग श्रेणी की 92% महिला शिक्षिकाओं और 83% पुरुष शिक्षकों को उनके चुने गए जिलों में से ही एक जिला आवंटित किया गया है।

17,000 शिक्षकों का अटका ट्रांसफर

लगभग 17,000 शिक्षकों को फिलहाल ट्रांसफर का लाभ नहीं मिल पाया है। विभाग का कहना है कि विषयवार और कक्षावार रिक्तियां उपलब्ध न होने के कारण इन्हें विकल्प वाले जिलों में समायोजित नहीं किया जा सका। इन शिक्षकों के लिए अब शिक्षा विभाग ने नई व्यवस्था लागू की है। उन्हें 23 से 28 सितंबर 2025 तक ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर तीन नए जिलों का चयन करने का मौका मिलेगा। शर्त यह होगी कि पहले जिन जिलों को विकल्प के तौर पर चुना गया था, उनमें से कोई भी जिला दोबारा नहीं चुन सकेंगे।

पारदर्शिता और संतुलन पर जोर

इसके बाद आवंटित जिलों में जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति छात्र-शिक्षक अनुपात और विषयवार रिक्तियों के आधार पर विद्यालय आवंटन की प्रक्रिया पूरी करेगी। शिक्षा विभाग का दावा है कि इस पूरी प्रक्रिया से न सिर्फ स्थानांतरण में पारदर्शिता आएगी, बल्कि पूरे राज्य के स्कूलों में शिक्षकों की संतुलित उपलब्धता सुनिश्चित होगी।