
बिहार की सडक़ों पर लूटमार
पटना। बिहार में सडक़ें सुरक्षित नहीं हो पा रही हैं। जो हाल लालू प्रसाद यादव के राज में था, कमोबेश वही हाल नीतीश कुमार के राज में भी कायम है। बिहार की सडक़ों पर हर दिन 3 से ज्यादा लूटमार की घटनाएं दर्ज होती हैं। हर तीसरे दिन सडक़ पर एक डकैती को अपराधी अंजाम देते हैं। डकैती समय के साथ थोड़ी-सी कम हुई है, लेकिन सडक़ पर लूटमार या छिनैती की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है।
बिहार में सडक़ पर अपराधियों से सुरक्षा का जो हाल आज है, वही हाल वर्ष 2001-2002 में राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री रहते भी था। वर्ष 2001 में सडक़ पर लूटमार की 1296 की वारदात को अपराधियों ने अंजाम दिया था, तो वर्ष 2017 में भी 1286 वारदात को अंजाम दिया। बिहार पुलिस के आंकड़े बता रहे हैं कि बिहार में सडक़ों पर सुरक्षा बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। पुलिस ने अगर पूरी कड़ाई की होती, तो बिहार की सडक़ों को सुरक्षित बनाया जा सकता था, लेकिन गृह मंत्रालय स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास रहने के बावजूद स्थितियों में सुधार दिख नहीं रहा है। जहां तक सडक़ पर डकैती का सवाल है, तो उसमें कुछ सुधार दिखता है। वर्ष 2001 में 257 वारदात तो वर्ष 2017 में 165 वारदात को डकैतों ने अंजाम दिया है।
बिहार की सडक़ों को खतरे से खाली नहीं माना जाता। रात के समय विशेष रूप से खतरा उठाकर ही लोग निकलते हैं। रात को सडक़ों पर वही निकलता है, जिसे बहुत जरूरी हो, अन्यथा ज्यादातर लोग शाम होने के बाद सडक़ पर निकलने से बचते हैं। सडक़ पर हत्या के आंकड़े अलग से नहीं हैं, लेकिन सडक़ों पर अपराधी कई बार छीना-झपटी होने पर लूटमार के साथ ही हत्या करने से भी बाज नहीं आते हैं।
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संगठित गिरोहों की आशंका
हर दूसरे दिन सडक़ पर एक डकैती और रोज तीन से ज्यादा लूटमार की घटना यह बताती है कि बिहार की सडक़ों पर अपराध को अंजाम देने वाले गिरोह सक्रिय हैं। यदि पुलिस इन संगठित गिरोहों पर शिकंजा कसे, तो बिहार में सडक़ों को सुरक्षित बनाया जा सकता है।
वर्ष - वारदात
2001 - 257
2005 - 224
2010 - 207
2015 - 175
2017 - 165
सितंबर 2018 तक - 97
वर्ष - वारदात
2001 - 1296
2005 - 1310
2010 - 1051
2015 - 1195
2017 - 1286
सितंबर 2018 तक - 1089
Published on:
27 Dec 2018 02:56 pm
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