
महिला रोजगार योजना। फोटो आईपीआरडी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट तेज हो गई है और सत्ता पक्ष ने इस बार चुनावी मैदान में एक ऐसा दांव चला है, जिसने पूरे सियासी समीकरण को नया मोड़ दे दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को संयुक्त रूप से ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ का शुभारंभ किया है। इस योजना के तहत बिहार की 75 लाख महिलाओं के बैंक खातों में शुक्रवार को पहली किस्त के रूप में 10-10 हजार रुपये की राशि सीधे ट्रांसफर कर दी गई। कुल मिलाकर 7500 करोड़ रुपये की यह रकम एक क्लिक में राज्य की आधी आबादी तक पहुंचाई गई।
बिहार की राजनीति में महिलाओं की भूमिका पिछले दो चुनावों से निर्णायक रही है। राज्य की मतदान आबादी का करीब 48 प्रतिशत हिस्सा महिलाएं हैं। खास बात यह है कि उन्होंने पुरुषों से अधिक मतदान कर अपनी राजनीतिक चेतना का परिचय दिया है। यही वजह है कि इस बार चुनाव से पहले सरकार ने महिला वोट बैंक को साधने पर सीधा फोकस किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल संबोधन में कहा, “आपके दो भाई नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार आपकी सेवा में हमेशा हाजिर हैं। बहनों की खुशहाली ही भाइयों की असली खुशी है।” वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ किया कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना एनडीए सरकार की प्राथमिकता है और कामकाज सही रहने पर 2 लाख रुपये तक अतिरिक्त मदद भी दी जाएगी।
सरकार का दावा है कि यह योजना महज़ आर्थिक मदद नहीं, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर और रोजगार सृजनकर्ता बनाने का रोडमैप है।
चुनाव से ठीक पहले महिलाओं के खाते में इतनी बड़ी रकम सीधे ट्रांसफर करना महज़ कल्याणकारी कदम ही नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा भी माना जा रहा है। सियासी पंडितों का कहना है कि महिलाओं को खुश करना मतलब पूरे परिवार को खुश करना, और यही किसी भी चुनाव में निर्णायक फैक्टर बन सकता है।
एनडीए का मकसद साफ है, महंगाई, बेरोजगारी और जातीय समीकरण के मुद्दों को पीछे छोड़कर महिला सशक्तिकरण को केंद्र में लाना। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों ने अपने संबोधन में ‘परिवारवाद बनाम विकास’ और ‘सबका साथ, सबका विकास’ का ज़िक्र कर विपक्ष पर भी सीधा हमला बोला।
विपक्ष इस योजना को चुनावी लालच बता सकता है, लेकिन महिलाओं तक सीधे कैश पहुंचना उनके लिए चुनौती है। आरजेडी और कांग्रेस पहले से ही रोजगार, आरक्षण और महंगाई के मुद्दों को भुनाने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन 10-10 हजार की सीधी मदद ने उनके नैरेटिव को कमजोर कर दिया है।
बिहार में अब कोई भी राजनीतिक दल ‘आधी आबादी’ को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता। वोट बैंक की इस रेस में ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ सरकार का मास्टरस्ट्रोक है। नवरात्र के शुभ मौके पर लॉन्च की गई यह योजना सिर्फ़ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि महिलाओं के आत्मसम्मान और राजनीतिक भागीदारी को मजबूत करने का भी बड़ा संदेश है।
अब देखना यह होगा कि खाते में आए 10-10 हजार रुपये महिलाओं को वाकई ‘लखपति दीदी’ बनने की राह पर ले जाएंगे या फिर यह महज़ चुनावी रणनीति साबित होगी। लेकिन इतना तय है कि आने वाले चुनाव में महिला मतदाता ही असली किंगमेकर बनने वाली हैं।
Updated on:
26 Sept 2025 02:09 pm
Published on:
26 Sept 2025 02:08 pm
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