
पटना की सड़कों पर लगा पोस्टर (फोटो-पत्रिका)
बिहार की सियासत एक बार फिर पोस्टर वार और आरोप-प्रत्यारोप के बीच गरम हो गई है। पटना की सड़कों पर अचानक बड़े-बड़े पोस्टर दिखाई दिए, जिनमें राज्य के कई एनडीए नेताओं को तीखे राजनीतिक आरोपों के साथ ‘चोर’ की उपाधि दी गई है। पोस्टरों में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को “नाम बदलू”, मंत्री अशोक चौधरी को “जमीन चोर”, सांसद संजय जायसवाल को “पेट्रोल चोर”, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को “कॉलेज चोर” और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को “कॉटन और बैंडेज चोर” लिखा गया।
पटना की सड़कों पर लगे ये पोस्टर सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में वायरल हो गए। इन बड़े बड़े पोस्टर से एनडीए नेताओं की छवि को सीधा निशाना बनाया गया है। पोस्टरों में नेताओं को लेकर ऐसे विशेषण लिखे गए हैं, जिनसे राजनीतिक हलकों में खासी हलचल मच गई है।
दिलचस्प यह है कि इन पोस्टरों में कहीं भी जन सुराज या किसी अन्य पार्टी, संगठन या नेता का नाम नहीं है, लेकिन जानकार कहते हैं कि यह रणनीति जानबूझकर अपनाई गई है ताकि संदेश सीधा जनता तक पहुंचे और विवाद से राजनीतिक लाभ लिया जा सके। ये पोस्टर चुनावी माहौल को गरम करने की रणनीति के तहत भी लगाए गए हो सकते हैं। हालांकि यह सवाल भी उठ रहा है कि जनता इन आरोपों को कितनी गंभीरता से लेगी या इसे सिर्फ चुनावी प्रचार का हिस्सा मानेगी।
अब सवाल है कि पोस्टरों पर जो चोर कि उपाधि दी गई है, यह आई कहां से, तो इसकी शुरुआत हुई जन सुराज पार्टी के मंच से, जब पार्टी के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) ने एनडीए के कई दिग्गज नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कई दावे किया जैसे कि मंत्री अशोक चौधरी ने पारदर्शिता के बिना जमीन खरीदी और उसे परिवार के नाम कर दिया, संजय जायसवाल पेट्रोल पंप घोटाले में लिप्त हैं, दिलीप जायसवाल कॉलेज घोटाले में संलिप्त हैं, सम्राट चौधरी ने नाम बदलने और पीएचडी विवाद में मनमानी की, जबकि मंगल पांडे ने स्वास्थ्य विभाग में ‘कॉटन-बैंडेज’ से जुड़े भ्रष्टाचार में हिस्सेदारी ली। जिसके बाद अब इन आरोपों ने टूल पकड़ लिया है।
प्रशांत किशोर द्वारा लगाए गए इन आरोपों पर नेताओं ने तीखा जवाब दिया। अशोक चौधरी ने प्रशांत किशोर को मानहानि का नोटिस भेजा है और संजय जायसवाल ने कोर्ट में केस दर्ज करवाया, जबकि अन्य नेताओं ने आरोपों को निराधार और चुनावी स्टंट बताया।
पटना में पोस्टर वार ने साफ कर दिया है कि बिहार में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी तापमान बढ़ चुका है। विपक्षी और सत्ता पक्ष दोनों ही अपने संदेश को जनता तक पहुंचाने के लिए नई-नई रणनीति अपना रहे हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि पोस्टर वार और आरोप-प्रत्यारोप बिहार की चुनावी राजनीति में अब और तेज़ होंगे। इस बार के पोस्टर वार ने साबित कर दिया कि बिहार में चुनाव सिर्फ वोट के लिए नहीं, बल्कि नेताओं की छवि और जनता के विश्वास के लिए भी मैदान तैयार है।
Updated on:
26 Sept 2025 04:04 pm
Published on:
26 Sept 2025 04:03 pm
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