दूसरे चरण की प्रस्तुति प्रायोगिक स्वरुप पर आधारित थी। भगवतशरण चतुर्वेदी के आलेख पर आधारित इस नृत्य संरचना में विभिन्न बंदिशों के माध्यम से पृथ्वी पर गंगा के जल की मन:स्थिति को दर्शाया गया। इस प्रस्तुति में कलाकारों ने जल के वीर, श्रृंगार, हास्य, अद्भुद, वात्सल्य, वीभत्स, रौद्र, भयानक, करूण और शांत रस को पेश कर दर्शकों का मन मोह लिया। संगीत निर्देशन पं. आलोक भट्ट ने किया और लय संयोजन पं. प्रवीण आर्य का था। कार्यक्रम में नृत्य कलाकारों में रेखा सेन, शगुन शर्मा, देवांशी दवे, कनिका कोठारी, सुहानी बहल, निकिता शर्मा, अनन्या दलवी, चित्रांश तंवर, सौम्या, हिमानी शामिल थे। प्रकाश व्यवस्था का संचालन राजेन्द्र शर्मा ‘राजूÓ और दिनेश प्रधान ने किया।