
ranjit
जयपुर. दिल्ली में एक दोस्त के यहां पार्टी में मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े एक मेम्बर ने मुझे फिल्मों में आने के लिए कहा, उस वक्त मुझे यह मजाक लगा। उन्होंने अगले दिन मिलने को कहा, जब मैं मिलने गया तो उन्होंने एक फिल्म की कहानी सुनाई और उसमें काम करने की बात कही। मुझे लगा ये मजाक करके मुम्बई निकल गए, लेकिन कुछ दिनों बाद एक पोस्टकार्ड आया, जिसमें लिखा हुआ था कि मुख्य किरदार तो कोई बड़ा एक्टर कर रहा है, लेकिन पैरेलर लीड है, यदि यह करना है तो मुम्बई आ जाओ। मझे लगा मुम्बई कभी गया भी नहीं हूं, इसके चलते घूमना भी हो जाएगा। मुम्बई पहुंचते ही मुझे एयरपोर्ट से चेतन आनंद के यहां ले जाया गया, जहां पहले से ही कुछ बड़े लोग मौजूद थे। इसके बाद अगले दिन उन सभी के साथ सुनील दत्त के घर पर था। मुंबई के दो दिन इतने बड़े स्टार्स के साथ था, जिन्हें सपनों में भी देखना सपना लगता था। यहीं से मेरे कॅरियर को नया रास्ता मिल गया। कुछ इसी तरह अपनी रियल कहानी को फिल्मी अंदाज में सुनाते हुए एक्टर रंजीत पत्रिका प्लस से रूबरू हुए।
उन्होंने कहा कि सुनील दत्त के पास जब मैं बैठा हुआ था, उस वक्त मेरा नाम गोपाल बेदी हुआ करता था। नाम पर चुटकी लेते हुए दत्त साहब ने कहा कि गोपाल नाम के इंडस्ट्री मंे बहुत है, जिसमें गोपाल सहगल, वी गोपाल नाम प्रमुख हैं। एेसे में तुम्हें भी फिल्मी नाम रखना चाहिए। दत्त साहब ने कहा कि मेरा नाम भी बलराज था और दिलीप कुमार काम नाम यूसुफ हुआ करता था, हमने फिल्मी नाम रखा है। तुम किस अक्षर से नाम रखना चाहते हो, तब मैंने कहा कि आर अक्षर से नाम सही रहेगा। तब दत्त साहब ने मुझे रंजीत नाम दिया, आज इंडस्ट्री मंे ५० साल हो गए हैं और लोग इसी नाम से मुझे पहचानते हैं।
'शर्मिलीÓ देखने के बाद मां ने घर से बाहर निकला दिया
रंजीत ने बताया कि वैसे तो मेरी 'सावन भादोÓ और 'रेशमाÓ फिल्म रिलीज हो गई थी, लेकिन 'शर्मिलीÓ फिल्म मेरे लिए बहुत बड़ी थी। इसका ग्रैंड प्रीमियर मुम्बई में रखा था, जिसको दिखाने के लिए घरवालों को बुलाया हुआ था। स्टेज पर अनाउंसमेंट के बाद मैं आगे स्टार्स के साथ बैठ गया। इंटरवेल में जब अपने घरवालों को सीट पर देखने गया, तो सभी वहां से जा चुके थे। मैंने वहां मौजूद लोगों से पूछा तो उन सभी ने कहा कि इन्हें तो काफी समय हो गया यहां से गए हुए। रात को पार्टी के बाद जब दीदी के घर पहुंचा तो वहां पूरे घरवाले मिटिंग कर रहे थे। मेरे पहुंचते ही मां ने डांटना शुरू किया, मां कह रही थी कि तूने अपने पिता का नाम खराब कर दिया, यहां आकर तू लड़कियों के कपड़े फाड़ता है। तू निकल जा इस घर से। डांट-फटकार कर मुझे वहां से निकाल दिया। मैं सीधे एक्ट्रेस राखी के घर गया और उसे पूरा माजरा बताया। राखी मेरे साथ वापस घर पहुंची और मां को समझाया कि यह तो मेरा अच्छा दोस्त है, फिल्मों में एेसे सीन होते हैं। मां राखी से माफी मांग रही थी कि मेरे बेटे ने जो किया उसके लिए हमें माफ कर दे, यह अपने संस्कारों को भूल चुका है। राखी के समझाने पर थोड़ा मामला शांत हुआ, लेकिन सभी मुझे वापिस अमृतसर ले जाने की बाते कहते दिखे।
मां कभी क्लाइमैक्स नहीं देखती थी
उन्होंने बताया कि फिल्मों से मिली प्रशंसा के बाद घरवालों से भी सराहना मिलती रही। मेरी मां जब पहली बार सिनेमा में फिल्म देखने गई थी, तो मुझे मरते हुए देख, वो वहां रोने लगी और बीच में उठकर चली गई। इसके बाद मां जब भी फिल्में देखने जाती थी, तो क्लाइमैक्स से पहले उठकर आ जाती थी। वह अपने बेटे को पर्दे पर मरते हुए भी नहीं देखना चाहती थी, चाहे मरना नकली में ही हो। उन्होंने कहा कि लोगों को यकीन नहीं होता, लेकिन मैं ना ही सिगरेट पीता हूं और ना ही शराब पीता हूं। सच कहूं तो बहुत शर्मिला हूं, एेसे में पर्दे के कैरेक्टर मुझसे जरा भी मैच नहीं खाते। अभी मेरी 'हाउसफुल ४Ó रिलीज होने को है।
Published on:
26 Apr 2019 07:46 pm
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