
मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी हुईं प्रज्ञा ठाकुर किस राह चलेंगी? (फोटो सोर्स: FB Pragya Thakur)
संजना कुमार @ पत्रिका
Malegaon Blast Case Verdict: साल 2008 का मालेगांव ब्लास्ट केस (Malegaon Blast Case) का फैसला आखिरकार आ गया और प्रज्ञा ठाकुर के लिए ये बड़ी राहत भरी खबर है। लेकिन ये सिर्फ एक आपराधिक मामले का अंत नहीं बल्कि, इससे एक और बड़ी परीक्षा भी जुड़ी थी और वह थी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के भविष्य की। 17 साल बाद आने वाला यह फैसला प्रज्ञा को एक निर्णायक स्थिति में ले आया है। क्योंकि देशभर की नजरें इसी केस पर टिकी थीं और हर किसी के पास अब यही सवाल है कि वे क्या फिर से राजनीतिक सफर की शुरुआत करेंगी या फिर अध्यात्म की राह चुनेंगी...
प्रज्ञा ठाकुर (Pragya Thakur) का नाम पहली बार तब सबके सामने आया जब वो, भगवा वस्त्रों में आध्यात्मिक गतिविधियों से जुड़ीं। वे RSS से जुड़ी छात्र इकाई ABVP में सक्रिय रहीं और कई हिंदूवादी संगठनों से उनका जुड़ाव रहा। उनकी पहचान एक 'धर्मवीर' साध्वी के रूप में बनी, जो भारत की संस्कृति, धर्म और गौरव के लिए लड़ रही थी।
लेकिन 2008 के मालेगांव ब्लास्ट के बाद अचानक उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ आया कि वह साध्वी की छवि से इतर सीधे आतंकवाद के एक गंभीर मामले की आरोपी बन गईं। यही वह पल था जब एक साध्वी का नाम देश की सबसे बड़ी सुरक्षा बहस का हिस्सा बन गया।
ATS ने प्रज्ञा ठाकुर को अक्टूबर 2008 में गिरफ्तार किया। उन पर आरोप था कि जिस मोटरसाइकिल से ब्लास्ट हुआ, वह उनके नाम पर थी। गिरफ्तारी के बाद उनके साथ हुए कथित टॉर्चर, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के आरोप भी सामने आते रहे। उन्होंने खुद कई बार कहा कि उन्हें झूठे केस में फंसाया गया है क्योंकि, वे हिंदू हैं और भगवा पहनती हैं।
प्रज्ञा की गिरफ्तारी के बाद भगवा आतंकवाद शब्द उपजा और राजनीतिक चर्चा का, विमर्श का विषय बन गया। यही वो दौर था जब, कांग्रेस नेतृत्व पर ये आरोप लगने लगे कि वह जानबूझकर हिंदू संगठनों को बदनाम कर रही है। यहीं से प्रज्ञा ठाकुर केवल एक साध्वी नहीं, एक राजनीतिक विचारधारा की प्रतीक बन गईं।
2008 में गिरफ्तारी के बाद करीब 9 साल प्रज्ञा जेल में रहीं। 2017 में उन्हें जमानत मिल गई। इसके दो साल बाद बीजेपी ने उन्हें भोपाल से लोकसभा चुनाव का टिकट दिया। यह बीजेपी के लिए एक रणनीतिक फैसला था। उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ प्रज्ञा को मैदान में उतारा। बीजेपी द्वारा उनकी उम्मीदवारी पर देशभर में बहस छिड़ गई, क्या एक आतंकी केस की आरोपी को संसद भेजा जाना चाहिए? लेकिन चुनावी नतीजे ने सबको चौंका दिया। प्रज्ञा ठाकुर ने भारी मतों से अपनी जीत दर्ज कराई और संसद पहुंच गईं।
सांसद बनने के बाद भी प्रज्ञा ठाकुर का सफर विवादों से मुक्त नहीं रहा। अपनी बयानबाजी को लेकर वे अक्सर घिरती नजर आईं। उनके विवादित बयान या तो नफरत फैलाने वाले माने गए या शहीदों को अपमानित करने वाले समझे गए।
उन्होंने नाथूराम गोडसे को एक देशभक्त बताया, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सार्वजनिक रूप से कहना पड़ा कि 'मैं उन्हें कभी मन से माफ नहीं कर पाऊंगा।' संसद में शहीद हेमंत करकरे पर दिए गए बयान के बाद प्रज्ञा को देश भर की आलोचना झेलनी पड़ी। उनके कई बयान साम्प्रदायिक रूप से विभाजनकारी माने गए।
विवादित बयानों और उनकी आलोचना के बावजूद, प्रज्ञा ठाकुर अपनी विचारधारा और अपने किसी भी बयान या कर्म से न बदलीं और न ही पीछे हटीं। उन्होंने बार-बार खुद को राष्ट्रवादी, गौ भक्त और हिंदुत्व प्रतिनिधि के रूप में पेश किया।
अब प्रज्ञा ठाकुर बरी हो गई हैं, तो यह उनके लिए न केवल नैतिक जीत, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक हथियार भी होगा। अब उनके समर्थक उनके साथ हैं और चीख-चीख कर कह रहे हैं कि उन्हें 'झूठे केस' में फंसाया गया और भगवा आतंकवाद का नाम देकर पूरे संत समाज को बदनाम किया गया। लेकिन अगर प्रज्ञा ठाकुर बरी हो गई हैं और फिर से राजनीति के पथ पर आगे बढ़ती हैं तो वे अब वे एक शहीद की तरह उभरेंगी, एक ऐसी महिला जिसने अपनी आस्था के लिए 17 साल की सजा काटी। कहना होगा कि प्रज्ञा ठाकुर का केस कानून, राजनीति और विचारधारा, तीनों का संगम है। आज का दिन उनके जीवन का सबसे अहम दिन साबित हुआ है।
प्रज्ञा ठाकुर आज सिर्फ एक पूर्व सांसद या साध्वी नहीं, बल्कि उन लाखों लोगों के लिए 'हिंदुत्व' की प्रतीक हैं जो, मानते हैं कि उनकी आस्था के खिलाफ साजिशें हुईं। फैसले से पहले उनकी छवि दो ध्रुवों पर बंटी हुई थी, एक तरफ श्रद्धा, दूसरी तरफ संदेह। और आज जब मालेगांव केस का फैसला आया है तो वह एक श्रद्धा के ध्रुव पर आ खड़ी हुई हैं। अब वे ही तय करेंगी की राजनीति की राह चलेंगी या आध्यात्मिक सफर।
बता दें कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भारतीय जनता पार्टी से मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से 23 मई 2019 में सांसद चुनी गई थीं। वे 4 जून 2024 तक भोपाल लोकसभा सीट से सांसद रहीं। 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। लेकिन वो आज भी भाजपा की महिला नेताओं में सबसे प्रमुख और चर्चित चेहरा मानी जाती हैं।
Updated on:
05 Aug 2025 10:42 am
Published on:
04 Aug 2025 02:44 pm
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