
इसी के चलते लम्बे समय के बाद ज्वैलर्स की दुकानों पर खरीददारों की भीड़ दिखाई दी। बड़ी संख्या में पुरुष भी पत्नियों के लिए जेवरात व तोहफे खरीदते दिखे। शादी के बाद जिन नवविवाहिताओं की पहली करवा चौथे थी, उनके लिए यह पर्व अन्य महिलाओं से कुछ खास था। महिलाओं ने करवे मनस कर सास व ससुराल पक्ष की अन्य महिलाओं को दिए। दोपहर में महिलाओं ने कहानी सुनी व रात को चंद्र दर्शन कर अघ्र्य दिया और व्रत खोला।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। लेकिन अब युवतियां भी यह व्रत रखने लगी हैं। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेशजी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टी गणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ?घ्र्य देने के बाद ही व्रत खोलने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं।

बदल रहा है ट्रेंड समय के साथ करवा चौथ का ट्रेंड भी बदल रहा हैं। सुबह से ही सोशल मीडिया पर एक दूसरे को करवा चौथ की बधाई देने का दौर शुरू हुआ जो देर रात तक जारी रहा। घर से दूर रहने वाले पतियों से वीडियो कॉल करके पत्नियों ने अपना व्रत खोला व वीडियो पर ही पूजा की। कुछ महिलाएं चलनी में दीपक रखकर उससे अपने पति को देखती हैं व उसके बाद व्रत खोलती है। तो कुछ चांद के साथ अपने पति की आरती उतारती हैं। समय के साथ तेजी से व्रत रखने के तरीकों में भी बदलाव हो रहा है।

किया जाता है उद्यापन यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के बाद इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। जो सुहागिन स्त्रियां आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं। इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है। अत: सुहागिन स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षा इस व्रत का सतत पालन करें।

राजस्थान में है चौथ माता का मंदिर भारत देश में वैसे तो चौथ माता जी के कई मंदिर स्थित है, लेकिन सबसे प्राचीन एवं सबसे ख्याति प्राप्त मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा गांव में स्थित है । चौथ माता के नाम पर इस गांव का नाम बरवाड़ा से चौथ का बरवाड़ा पड़ गया। चौथ माता मंदिर की स्थापना महाराजा भीमसिंह चौहान ने की थी।

चतुर्थी को मनाया जाता है करवा चौथ करवा चौथ एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान का पर्व है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियां मनाती हैं। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब 4 बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है।

उधर पंजाबी वैलफेयर सोसायटी के महिला प्रकोष्ठ की ओर से स्कीम नम्बर २ स्थित पुरूषार्थी भवन में सामूहिक करवा चौथ का आयोजन किया गया। जिसमें पंजाबी समाज के ५० परिवारों की महिलाओं ने भाग लिया। इस अवसर पर सोसायटी के महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष उमा भाटिया, सुषमा सेतिया, नीना आहूजा, रजनी तनेजा, नीलू कपूर, सीमा अरोड़ा, कमल आहूजा, वन्दन जसूजा, अजंू अरोड़ा एवं आशा कालरा सहित अनेक महिलाएं उपस्थित थी।