
'हर कदम पर मेरे साथ खड़ी नजर आती है मां, अपने मुंह से दाना खिलाती है मां, मेरे पंखों को हौसला देकर उडऩा सिखाती है मेरी मां।' ये मां ही है जो हमेशा अपने बच्चों का खयाल रहती है। बच्चे छोटे हों या बड़े, मां उन्हें ममता की छांव में रखती है। मातृत्व का भाव इंसान के साथ पशु-पक्षियों में भी रहता है।

'हर कदम पर मेरे साथ खड़ी नजर आती है मां, अपने मुंह से दाना खिलाती है मां, मेरे पंखों को हौसला देकर उडऩा सिखाती है मेरी मां।Ó ये मां ही है जो हमेशा अपने बच्चों का खयाल रहती है। बच्चे छोटे हों या बड़े, मां उन्हें ममता की छांव में रखती है। मातृत्व का भाव इंसान के साथ पशु-पक्षियों में भी रहता है।

'हर कदम पर मेरे साथ खड़ी नजर आती है मां, अपने मुंह से दाना खिलाती है मां, मेरे पंखों को हौसला देकर उडऩा सिखाती है मेरी मां।Ó ये मां ही है जो हमेशा अपने बच्चों का खयाल रहती है। बच्चे छोटे हों या बड़े, मां उन्हें ममता की छांव में रखती है। मातृत्व का भाव इंसान के साथ पशु-पक्षियों में भी रहता है।

'हर कदम पर मेरे साथ खड़ी नजर आती है मां, अपने मुंह से दाना खिलाती है मां, मेरे पंखों को हौसला देकर उडऩा सिखाती है मेरी मां।Ó ये मां ही है जो हमेशा अपने बच्चों का खयाल रहती है। बच्चे छोटे हों या बड़े, मां उन्हें ममता की छांव में रखती है। मातृत्व का भाव इंसान के साथ पशु-पक्षियों में भी रहता है।

'हर कदम पर मेरे साथ खड़ी नजर आती है मां, अपने मुंह से दाना खिलाती है मां, मेरे पंखों को हौसला देकर उडऩा सिखाती है मेरी मां।Ó ये मां ही है जो हमेशा अपने बच्चों का खयाल रहती है। बच्चे छोटे हों या बड़े, मां उन्हें ममता की छांव में रखती है। मातृत्व का भाव इंसान के साथ पशु-पक्षियों में भी रहता है।