
राधा और कृष्ण बने कलाकारों के साथ छड़ीमार होली देखने आए लोगों ने जमकर डांस किया। खूब रंग-गुलाल उड़ाए।

छड़ी मार होली खेलने वाली गोपियों को 10 दिन पहले से दूध, दही, मक्खन, लस्सी, काजू बादाम खिलाकर होली खेलने के लिए तैयार किया जाता है।

लट्ठमार होली की तरह ही छड़ीमार होली का भी अपना अलग महत्व है। छड़ीमार होली कृष्ण के प्रति प्रेममयी और भावमयी होली का प्रतीक है।

कान्हा बचपन में बहुत नटखट थे। गोपियों को सताया करते थे। ऐसे में कान्हा को सबक सिखाने के लिए गोपियां हाथ में छड़ी लेकर कान्हा के पीछे भागती थीं।