
नागौर. बरसात से मानो धरती की मुस्कान खिल उठी है। सूखी दरारों में समा जाती है नमी की मिठास और खेतों का चेहरा बदल जाता है। अब जीवन से भरे दिखते है खेत और किसान की आंखों में उमीदों की चमक लौट आई है। बारिश की हर बूंद खेतों के लिए अमृत समान होती है। बीजों को जगाती है, मिट्टी को सजीव बनाती है। बारिश-धूप-छांव के खेल के बीच इंद्रधनुष सा रंग भर जाता है खेतों में। नन्हीं कोंपलों की मुस्कान, मिट्टी की सौंधी खुशबू और दूर तक फैला विस्तार। ये सब मिलकर बरसात के बाद खेतों की खुशी बयां करते हैं। बरसात के बाद जब खेत मुस्कराते हैं तो सिर्फ मिट्टी ही नहीं पूरे गांव का मन हर्षित होता है। नागौर के निकट एक खेत का दृश्य।

जलनिकासी वयवस्था की खुली पोलनागौर. जिले में बीते दो दिनों से हो रही अच्छी बारिश ने जहां एक ओर किसानों और आमजन को राहत दी, वहीं दूसरी ओर कई इलाकों में जलभराव की विकट स्थिति भी पैदा कर दी। नागौर शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें, गलियां, खेत और तालाब पानी से लबालब हो गए हैं।

शहर में शनिवार को सड़कें लबालब हो गई, जिससे निगम प्रशासन की जल निकासी व्यवस्था की पोल खुल गई। मौसम विभाग ने सबसे ज्यादा 268 एमएम बारिश मेड़ता में दर्ज की, लेकिन नागौर में सिर्फ 63 एमएम बारिश हुई, इसके बावजूद शहर में प्रमुख मार्ग जलमग्न हो गए। कई जगह शिकायतों के बाद भी जलनिकासी व्यवस्था सुचारू नहीं हो पाई।

शहर की प्रमुख कॉलोनियों संजय कॉलोनी, करणी कॉलोनी, गिनाणी तालाब मार्ग और मंडी चौराहा में पानी भराव की स्थिति से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। कई क्षेत्रों में एक से डेढ़ फीट तक पानी भरने से इन इलाकों में आवागमन पूरी तरह बाधित रहा। वाहन फंसे, दुकानों तक पहुंच मुश्किल हो गई। संत बलरामदास शास्त्री विद्यालय के सामने की सडक़ घंटों तक पानी में डूबी रही। कई वाहन जलभराव के चलते बीच में ही बंद हो गए, उन्हें खींचकर बाहर निकालना पड़ा।

कहां, कितनी बारिश हुईनागौर 63 एमएममूण्डवा 87 एमएमखींवसर 198 एमएममेड़ता 268 एमएमरियाबड़ी 177 एमएमडेगाना 111 एमएमसांजू 131 एमएमजायल 21 एमएमडेह 14 एमएम

बाढ़ नियंत्रण कक्षा बनाबरसात की स्थिति को देखते हुए नगरपरिषद में बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। इसका नंबर 01582-240810 है। इसमें शिटवार कर्मचारियों तैनात किए गए हैं। शिकायत पर यह आवश्यकतानुसार मदद पहुंचाएंगे।

यहां भी परेशानीबीकानेर रोड स्थित कृषि मंडी चौराहा, हाउसिंग बोर्ड बालवा रोड, सलेऊ रोड, मानासर चौराहा-कॉलेज रोड, मानासर चौराहा-जोधपुर रोड और बीकानेर रेलवे पुलिया के नीचे भी लंबे समय तक जलभराव की स्थिति बनी रही। ग्रामीण क्षेत्रों के बालवा, बाराणी, सलेऊ, ताऊसर और गोगेलाव सहित कई गांवों में खेतों, रास्तों और तालाबों में पानी भर गया।