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PICS : जम्मू से आए तो थे पेट की आग बुझाने,गोदाम में फंसकर रह गए

पाली। साब , हमाली कर पेट की आग बुझाने के लिए हजारों किलोमीटर दूर से यहा आए है। लेकिन कोरोना बीमारी क्या फैली हम तो गोदाम में ही फंसकर रह गए। लोक डाउन के चलते अब यहा ना तो पर्याप्त काम मिल रहा है और ना ही भोजन पानी। अब तो सरकार से एक ही गुहार है कि हमे किसी तरह से वापस हमारे गांव पहुंचा दे।

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जम्मू से आए तो थे पेट की आग बुझाने,गोदाम में फंसकर रह गए

पाली। साब , हमाली कर पेट की आग बुझाने के लिए हजारों किलोमीटर दूर से यहा आए है। लेकिन कोरोना बीमारी क्या फैली हम तो गोदाम में ही फंसकर रह गए। लोक डाउन के चलते अब यहा ना तो पर्याप्त काम मिल रहा है और ना ही भोजन पानी। अब तो सरकार से एक ही गुहार है कि हमे किसी तरह से वापस हमारे गांव पहुंचा दे।यह व्यथा है जम्मू के कठुआ तहसील के 50 से ज्यादा मजदूरों की जो पिछले कई समय से पाली के ट्रांपपोर्ट नगर में हमाली का काम कर रहे है। कोरोना के बीच लगे लाक डाउन में उनकी जिंदगी लाक हो गई है। अब ये एक गोदाम में कैद होकर रह गए है। लाक डाउन के चलते पूरा ट्रांसपोर्ट नगर सूना पड़ा है। एक दो बार प्रशासन नेराहतसामग्री पहुंचाई भी थी मगर इतने ज्यादा लोगो के लिए पर्याप्त नही हो सकी।

जम्मू से आए तो थे पेट की आग बुझाने,गोदाम में फंसकर रह गए

पाली। साब , हमाली कर पेट की आग बुझाने के लिए हजारों किलोमीटर दूर से यहा आए है। लेकिन कोरोना बीमारी क्या फैली हम तो गोदाम में ही फंसकर रह गए। लोक डाउन के चलते अब यहा ना तो पर्याप्त काम मिल रहा है और ना ही भोजन पानी। अब तो सरकार से एक ही गुहार है कि हमे किसी तरह से वापस हमारे गांव पहुंचा दे।यह व्यथा है जम्मू के कठुआ तहसील के 50 से ज्यादा मजदूरों की जो पिछले कई समय से पाली के ट्रांपपोर्ट नगर में हमाली का काम कर रहे है। कोरोना के बीच लगे लाक डाउन में उनकी जिंदगी लाक हो गई है। अब ये एक गोदाम में कैद होकर रह गए है। लाक डाउन के चलते पूरा ट्रांसपोर्ट नगर सूना पड़ा है। एक दो बार प्रशासन नेराहतसामग्री पहुंचाई भी थी मगर इतने ज्यादा लोगो के लिए पर्याप्त नही हो सकी।

जम्मू से आए तो थे पेट की आग बुझाने,गोदाम में फंसकर रह गए

पाली। साब , हमाली कर पेट की आग बुझाने के लिए हजारों किलोमीटर दूर से यहा आए है। लेकिन कोरोना बीमारी क्या फैली हम तो गोदाम में ही फंसकर रह गए। लोक डाउन के चलते अब यहा ना तो पर्याप्त काम मिल रहा है और ना ही भोजन पानी। अब तो सरकार से एक ही गुहार है कि हमे किसी तरह से वापस हमारे गांव पहुंचा दे।यह व्यथा है जम्मू के कठुआ तहसील के 50 से ज्यादा मजदूरों की जो पिछले कई समय से पाली के ट्रांपपोर्ट नगर में हमाली का काम कर रहे है। कोरोना के बीच लगे लाक डाउन में उनकी जिंदगी लाक हो गई है। अब ये एक गोदाम में कैद होकर रह गए है। लाक डाउन के चलते पूरा ट्रांसपोर्ट नगर सूना पड़ा है। एक दो बार प्रशासन नेराहतसामग्री पहुंचाई भी थी मगर इतने ज्यादा लोगो के लिए पर्याप्त नही हो सकी।

जम्मू से आए तो थे पेट की आग बुझाने,गोदाम में फंसकर रह गए

पाली। साब , हमाली कर पेट की आग बुझाने के लिए हजारों किलोमीटर दूर से यहा आए है। लेकिन कोरोना बीमारी क्या फैली हम तो गोदाम में ही फंसकर रह गए। लोक डाउन के चलते अब यहा ना तो पर्याप्त काम मिल रहा है और ना ही भोजन पानी। अब तो सरकार से एक ही गुहार है कि हमे किसी तरह से वापस हमारे गांव पहुंचा दे।यह व्यथा है जम्मू के कठुआ तहसील के 50 से ज्यादा मजदूरों की जो पिछले कई समय से पाली के ट्रांपपोर्ट नगर में हमाली का काम कर रहे है। कोरोना के बीच लगे लाक डाउन में उनकी जिंदगी लाक हो गई है। अब ये एक गोदाम में कैद होकर रह गए है। लाक डाउन के चलते पूरा ट्रांसपोर्ट नगर सूना पड़ा है। एक दो बार प्रशासन नेराहतसामग्री पहुंचाई भी थी मगर इतने ज्यादा लोगो के लिए पर्याप्त नही हो सकी।

जम्मू से आए तो थे पेट की आग बुझाने,गोदाम में फंसकर रह गए

पाली। साब , हमाली कर पेट की आग बुझाने के लिए हजारों किलोमीटर दूर से यहा आए है। लेकिन कोरोना बीमारी क्या फैली हम तो गोदाम में ही फंसकर रह गए। लोक डाउन के चलते अब यहा ना तो पर्याप्त काम मिल रहा है और ना ही भोजन पानी। अब तो सरकार से एक ही गुहार है कि हमे किसी तरह से वापस हमारे गांव पहुंचा दे।यह व्यथा है जम्मू के कठुआ तहसील के 50 से ज्यादा मजदूरों की जो पिछले कई समय से पाली के ट्रांपपोर्ट नगर में हमाली का काम कर रहे है। कोरोना के बीच लगे लाक डाउन में उनकी जिंदगी लाक हो गई है। अब ये एक गोदाम में कैद होकर रह गए है। लाक डाउन के चलते पूरा ट्रांसपोर्ट नगर सूना पड़ा है। एक दो बार प्रशासन नेराहतसामग्री पहुंचाई भी थी मगर इतने ज्यादा लोगो के लिए पर्याप्त नही हो सकी।