
CG News: छत्तीसगढ़ के रायपुर में संस्कृति विभाग की ओर से मुक्ताकाश मंच पर चल रहे रंगपर्व की शुक्रवार शाम छत्तीसगढ़ी लोकधुनों और लोककथाओं से सराबोर रही। 17 कलाकारों ने कैलान बर्रे के निर्देशन में पंथी नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इसमें 66 साल के पूनम बर्रे का जोश देखते बन रहा था, वहीं शिव कुमार मांडले ने पैर में आई चोट की परवाह न करते हुए प्रस्तुति दी। शिव ने बताया, मैं उरला स्थित कंपनी में काम करता हूं। काम के दौरान चैनल पट्टी से पैर में चोट आ गई थी।

मुझे अनुमान था कि कार्यक्रम से पहले चोट ठीक हो जाएगी लेकिन घाव पूरी तरह नहीं भर पाया था। पंथी नृत्य हमारे लिए पूजा से कम नहीं। इसलिए मैंने पांव के पंजे की चोट को किनारा किया और उत्साह के साथ प्रस्तुति दी।

66 वर्षीय पूनमचंद बर्रे ने बताया, मेरा पूरा जीवन कला-संस्कृति की सेवा में बीता है। मैंने हबीब तनवीर साहब के साथ चरणदास चोर का मंचन करने देश-विदेश की यात्राएं की। उनकी टीम में मैं गायक था। रूस, लंदन, स्वीडन और ग्रीस में प्रस्तुति दी।

पंडवानी गायिका प्रभा यादव ने अपनी सशक्त वाणी और गहन अभिव्यक्ति से महाभारत की गाथाओं को जीवंत कर दिया। उनकी प्रस्तुति में पात्रों के संवाद, लोकभाषा की मिठास और भावनाओं का गहरा संगम दर्शकों को बांधता रहा।

कथा में उन्होंने पांडवों की कठिनाइयों, द्रौपदी स्वयंवर और महाभारत युद्ध के प्रसंगों को बड़े प्रभावशाली अंदाज में प्रस्तुत किया। ढोलक और मंजीरे की संगत ने वातावरण को और अधिक मार्मिक बना दिया।