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पीलीभीत। किसी ने कहा है कि शौक बड़ी अजीब चीज है। सही ही कहा है। इसका भी जनून होता है। डाक टिकट, प्राचीन मुद्राएं, पुस्तकें, माचिस, प्राचीन वस्तुएं सहित कई चीजों का संग्रह किया जाता है। वहीं पीलीभीत के एक संग्रहकर्ता कलीम अतहर खां डाक टिकट, मुद्रा और माचिस का संग्रह करते हैं। पिछले कुछ वर्षों से समाचार पत्रों के संग्रह करने का उनमें जुनून पैदा हुआ है। अब स्थिति यह है कि उनके पास दुनिया के कई देशों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों के साथ-साथ भारतीय संविधान में अधिसूचित भारतीय भाषाओं के प्रकाशित समाचार पत्रों की 3700 से अधिक समाचार पत्रों का संग्रह है।
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लिम्का बुक में नाम दर्ज कराना चाहते हैं
कलीम अतहर खां के संग्रह में भारतीय भाषाओं हिन्दी, तेलुगु, गुजराती, कोंकणी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, अंग्रेजी, उड़िया, पंजाबी, बंगाली, उर्दू, असमिया, गढ़वाली, कुंमायूनी, सिन्धी, संस्कृत, बोडो भाषा के समाचारपत्र शामिल हैं। भारत के सभी राज्यों के समाचार पत्रों का संग्रह है। साथ ही भारत के अलावा विदेशों की भी विभिन्न भाषाओं के समाचारपत्रों का संकलन है। इनके संग्रह में 3700 समाचार पत्र हैं। कलीम अतहर खां बताते है कि उनका उद्देश्य अधिकतम समाचार पत्रों का संग्रह कर लिम्का बुक में अपना नाम दर्ज कराना है। इनके समाचार पत्र संग्रह में भारत की आजादी 1947 के समय का समाचार पत्र तथा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या के समय के समाचार पत्र भी शामिल हैं।
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इन देशों के समाचार पत्र
वे बताते है कि इस संग्रह से देश के विभिन्न भाषाओं को समझने का सलीका आया। उनके संग्रह में पाकिस्तान, दुबई, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, चीन, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया, कैलीफोर्निया, सिंगापुर, नीदरलैड, न्यूजीलैंड, इटली, लंदन, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत, उज्बेकिस्तान,जर्मनी, कैन्या, युगांडा, सूडान, मलेशिया, इटली सहित कई देशों का संग्रह है। कलीम अतहर का जुनून यह है कि वे जहां भी जाते है, सबसे पहले वहां से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की तलाश करते हैं। उनका कोई मित्र यदि बाहर जाता है तो कलीम की एक ही मांग होती है, वहां से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों को लेकर आएं।
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Published on:
17 Jun 2018 11:11 am
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