ये था मामला
पीलीभीत के बिलसंडा क्षेत्र के रहने वाले सूरजपाल ने महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी को एक शिकायती पत्र देते हुए कहा कि बीते माह अप्रैल में जिला अस्पताल पीलीभीत में नेत्र शिविर लगाया गया था। जिसमें मुफ्त मोतिया बिंद के मरीजों को आॅपरेशन व लैंस की सुविधा दी जा रही थी। उसने अपनी मां मुन्नी देवी का आॅपरेशन जिला चिकित्सालय में तैनात डाॅ. वीके चावला से कराया था। डाॅक्टर पर आरोप है कि उसने आॅरेशन करने के एवज में 1000 रूपये की मांग की थी। लेकिन पीड़ित के पास मात्र 500 ही रूपये थे। जिस पर उसने 100 रूपये अपने खर्चे के रोककर डाॅक्टर को 400 रूपये दे दिये थे। इसके बाद डाॅक्टर ने लापरवाही बरतते हुए आॅरेशन खराब कर दिया।
पीलीभीत के बिलसंडा क्षेत्र के रहने वाले सूरजपाल ने महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी को एक शिकायती पत्र देते हुए कहा कि बीते माह अप्रैल में जिला अस्पताल पीलीभीत में नेत्र शिविर लगाया गया था। जिसमें मुफ्त मोतिया बिंद के मरीजों को आॅपरेशन व लैंस की सुविधा दी जा रही थी। उसने अपनी मां मुन्नी देवी का आॅपरेशन जिला चिकित्सालय में तैनात डाॅ. वीके चावला से कराया था। डाॅक्टर पर आरोप है कि उसने आॅरेशन करने के एवज में 1000 रूपये की मांग की थी। लेकिन पीड़ित के पास मात्र 500 ही रूपये थे। जिस पर उसने 100 रूपये अपने खर्चे के रोककर डाॅक्टर को 400 रूपये दे दिये थे। इसके बाद डाॅक्टर ने लापरवाही बरतते हुए आॅरेशन खराब कर दिया।
अगले दिन सुबह जब मरीज के आंखों की पट्टी खोली गयी तो मरीज के आंखों की रोशनी गायब थी। मरीज को कुछ भी नहीं दिख रहा था। जब डाॅक्टर से बात की गई तो उसने कहा कि 10-15 दिन में रोशनी आ जायेगी और उसे दिखने लगेगा। इसके बाद पीड़ित अपनी मां को लेकर घर चला गया। 15 दिन बाद भी जब आंखों की रोशनी नहीं आई तो पीड़ित दोबारा अपनी मां को लेकर डाॅक्टर को दिखाने आया। डाॅक्टर ने बाहर की दवायें लिखीं और पुनः आश्वासन दिया कि जल्द ही आंखों की रोशनी आ जायेगी। लेकिन एक माह हो जाने के बाद जब पीड़ित ने दूसरे डाॅक्टर को दिखाया तो उसे पता चला कि उसकी मां की आंखों की रोशनी जिंदगी भर के लिए चली गयी है। जिसकी शिकायत उसने केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी से की।
शिकायत मिलते ही मेनका गांधी आग बबूला हो गईं। मेनका गांधी ने सरकारी अस्पताल के नेत्र सर्जन डाॅ. वीके चावला की जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने कहा कि आपने उस गरीब को अंधा किया। आपसे उसे पांच लाख रूपये मुआवजा दें या फिर उसे नौकरी दें। डाॅ. अपनी सफाई देता रहा लेकिन मेनका नहीं मानी। उन्होंने उस पर एफआईआर सीएम कार्यालय में चिट्ठी व मेडिकल कॉन्सिल से जांच कराने की बात कही।