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10 साल की बच्ची जो पिछले पांच माह से लगा रही है मां नर्मदा की परिक्रमा

पिता की खातिर श्रवण कुमार बन बालिका माही कर रही हर रोज 10 से 15 किलोमीटर की यात्रा

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खरगौन / मंडला (निवास)। माता पिता की सेवा को अपना परम कार्य मानने वाले श्रवण कुमार की कथा आपमें से अधिकांश लोगों ने सुनी ही होगी। श्रवण कुमार का जिक्र जहां त्रेता युग में मिलता है, वहीं इसी तरह की एक मिसाल कलयुग में भी देखने को मिल रही है।

दरअसल मध्यप्रदेश की एक दस साल की बच्ची पिछले 5 माह से अपने पिता की सेहत के लिए नाना नानी के साथ पैदल नर्मदा यात्रा कर रही है। जो हर रोज 10 से 15 किलोमीटर का सफर करती है।

खरगौन जिले के सियाराम बाबाधाम भटिया की रहने वाली दस वर्षीय बालिका माही के पिता की तबियत काफी खराब थी, जिसके चलते सभी की उम्मीद छूटने लगी थी। तभी उनके घर के लोगों ने संकल्प लिया था कि यदि उनकी तबियत ठीक हो गई तो वे नर्मदा मइया की परिक्रमा करेंगे। उनके इस संकल्प के कुछ दिन बाद ही माही के पिता स्वस्थ्य हो गए। यहां ये बात भी जान लें कि नर्मदा परिक्रमा का संकल्प केवल माही के नाना नानी ने ही लिया था।

माही के पिता की सेहत सुधरने पर जब वे नर्मदा परिक्रमा को जाने लगे तो उन्होंने इसके लिए माही की मां को भी आमंत्रित किया लेकिन माही की मां ने माही के पिता व माही की देखभाल की बात कहते हुए नर्मदा परिक्रमा से असमर्थता दिखाई। लेकिन अपने पिता की सेहत ठीक होने के पीछे मां नर्मदा के आशीर्वाद को मानते हुए माही ने उसी वक्त ठान लिया की में नाना नानी के साथ जाऊंगी।

ऐसे में मां नर्मदा के लिए किए संकल्प के खातिर ही वह यात्रा पूर्ण विश्वास के साथ कर रही है। उसे विश्वास है कि नर्मदा मइया उसके पिता को पुन: स्वस्थ कर देंगी।पिता के स्वास्थ्य के लिए कक्षा 4 से अब 5 में आ गई यह बच्ची माही इस यात्रा को अपने नाना नानी के साथ ओमकारेश्वर से शुरू की हैं जो पदयात्रा करते मंडला जिले के निवास तहसील के बिसौरा गांव पहुंच चूकी है।

पिता की सेहत के प्रति बच्ची का इतना समर्पण हर किसी को त्रेतायुग के श्रवण कुमार की याद दिलाता है। ऐसे में जिस किसी ने इस बच्ची को देखा वह उसे कलयुग की श्रवण कुमार के नाम से ही संबोधित करने लगा। बस इसी के चलते इस नन्ही माही को सभी लोगों ने श्रवण कुमार का नाम दिया है।

वहीं माही के नाना नानी का कहना है कि माही और हम सब पिछले पांच माह से नर्मदा परिक्रमा में निकले हैं, और हर दिन 10 से 15 किमी रोजाना पैदल चल रहे हैं। यूं तो माही अब कक्षा 4 से 5वीं में आ गई हैं, लेकिन माही की अभी सिर्फ मां नर्मदा पर आस्था हैं और अब वह आगे की पढ़ाई नर्मदा की परिक्रमा पूरी करने के बाद करेगी।

जब माही अपने नाना नानी बिसोरा ग्राम पहुंची तो यहां स्थानीयजनों ने उनका स्वागत किया। उन्होंने बताया की माही के पिता का बहुत ही ज्यादा स्वास्थ खराब होने के चलते हमने उम्मीद ही छोड़ दी थी। ऐसे में हमने सब मां नर्मदा मैया के ऊपर छोड़ दिया और विचार (मन में संकल्प लिया) किया की अगर माही के पिता जल्द स्वस्थ हो जाएंगे, तो हम नर्मदा परिक्रमा में निकल जाएंगे और कुछ दिनों बाद माही के पिता स्वस्थ हो गए।

तो माही के वृद्ध नाना नानी जब नर्मदा परिक्रमा में निकलने लगे तो उन्होंने अपनी बेटी यानी माही की मां से कहा की आप भी हमारे साथ नर्मदा परिक्रमा पर चलो तो उनकी मां ने अपने पति माही के पिता की देखभाल करने के हवाला दे दिया, परंतु माही ने उसी वक्त ठान लिया की में नाना नानी के साथ जाऊंगी।

परिक्रमा पर सभी ने उन्हें बहुत मना किया पर माही के बाल हट ने नाना नानी को उसे साथ ले जाने के लिए मजबूर कर दिया। वहीं उन्होंने सबसे पहले सोचा की माही को वे एक दो दिन के बाद घर भेज देंगे, परंतु माही नहीं मानी और आज पांच माह के बाद भी माही निरंतर इस भीषण गर्मी में परिक्रमा कर रही हैं, इतना ही नहीं वह इस दौरन अपने वृद्ध नाना नानी का पूरा ध्यान रखने के साथ ही देखभाल भी करती हैं। वह जिस मार्ग से भी गुजरती हैं लोग माही की मां नर्मदा के प्रति आस्था को देख अश्चर्यचकित हो जाते हैं।

मां नर्मदा के प्रति हमने लोगों की आस्था देखी है, अभी तक मैंने वरिष्ठ वृद्धजनों को परिक्रमा करते देखा पर पहली बार मैंने 10 वर्षीय माही को भी नर्मदा माई की परिक्रमा करते देखा। जो की अपने वृद्ध नाना नानी की देखभाल के साथ खुद भी परिक्रमा कर रही हैं, माही की इस भक्ति को में नमन करता हूं।
- आलेख तिवारी, समाजसेवी ग्राम बिसोरा