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पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू पर राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी का बड़ा बयान, बताया किस वजह से कमजोर हुआ देश

Published: Jul 27, 2021 12:47:46 pm

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू पर की टिप्पणी तो कांग्रेस ने लगाया अपमान का आरोप, जानिए पूरा मामला

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नई दिल्ली। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ( Bhagat Singh Koshiyari ) ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की कमजोरी ये थी कि वे खुद को ‘शांतिदूत’ मानते थे और उनकी इसी सोच ने देश को लंबे समय के लिए कमजोर कर दिया।
राजभवन में करगिल विजय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कोश्यारी ने ये बात कही है। कोश्यारी की इस टिप्पणी पर कांग्रेस कड़ा एतराज जताया है।

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राज्यपाल कोश्यारी ने कहा कि ‘नेहरू का राष्ट्र और स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान है और मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं। लेकिन वह स्वयं को शांतिदूत मानने लगे थे और इसकी कीमत देश को कई सालों तक चुकानी पड़ी। उनकी शांति पहल से भारत को नुकसान हुआ।’
कोश्यारी ने की वाजपेयी सरकार की तारीफ
एक तरफ राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने नेहरू की शांतिदूत नीति को कोसा तो दूसरी तरफ वाजपेयी सरकार की जमकर तारीफ की।

खास बात यह है कि वाजपेयी की तारीफ के बहाने भी कोश्यारी ने पूर्व कांग्रेसी सरकारों पर निशाना साधा। कोश्यारी ने आरोप लगाया कि भाजपा की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के सत्ता में आने से पहले की सभी सरकारें राष्ट्रीय सुरक्षा के दबाव से निपटने के लिए मजबूत नहीं थीं।
उन्होंने कहा ‘मुझे याद है कि अटल बिहार वाजपेयी सरकार ने परमाणु परीक्षण करने का फैसला किया था लेकिन हम बीस साल पहले ही ये परीक्षण कर सकते थे क्योंकि हमारे वैज्ञानिक तैयार थे। लेकिन तब हमारी सरकारें डरी हुई थीं।’
कांग्रेस ने कोश्यारी के बयान को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
पूर्व पीएम पर दिए राज्यपाल कोश्यारी के बयान पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया भी सामने आई। कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने कोश्यारी की टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
चव्हाण ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्यपाल की टिप्पणी आधे सच पर आधारित है और वास्तविकता से उलट है। शांति को प्रोत्साहित करने का मतलब कमजोर होना नहीं है।

अगर ऐसा होता तो कोश्यारी शांति, संवाद और सौहार्द्र को प्रोत्साहित करने के लिए बस से अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर यात्रा, लाल कृष्ण आडवाणी के विचारधारा के विपरीत पाकिस्तान के संस्थापक, जिन्ना की मजार पर जाने, और बिना न्योता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नवाज शरीफ के जन्मदिन पर जाने को क्या कहेंगे। क्या ये घटनाएं कमजोरी दिखाती हैं।’
चव्हाण ने ये भी कहा कि पूर्व पीएम नेहरू का शांति को प्रोत्साहित करना कमजोरी दर्शाता है तो ये पैमाना वाजपेयी, आडवाणी और मोदी के लिए भी समान होना चाहिए।

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देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों का अपमान
उन्होंने कहा, ‘कोश्यारी की टिप्प्णी कि वाजपेयी से पूर्व की सरकारें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर नहीं थी, देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों का अपमान है।’

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