
बिहार में रामविलास पासवान के निधन से शोक की लहर।
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच कद्दावर नेता व लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक राम विलास पासवान के निधन से बिहार में सियासी सहानुभूति की लहर है। चुनावी मौसम होने की वजह से इसके असर से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसा इसलिए कि बिहार में पासवान की छवि सभी जातियों व बिरादरी के लोगों को एक साथ लेकर चलने की रही है।
केंद्र में रहते हुए राम विलास पासवान ने कई ऐसे काम किए जिससे कई जिलों के लोगों को इसका सीधा लाभ मिला। अब उसी का लाभ एलजेपी सहित बीजेपी के नेता भी अपने हित में उठा सकते हैं।
7 जिलों में समीकरण बिगड़ने के संकेत
बता दें कि चिराग पासवान जेडीयू से पहले ही सियासी नाता तोड़ चुके हैं। उन्होंने 143 सीटों पर जेडीयू के खिलाफ प्रत्याशी उतारे हैं। इस बीच एलजेपी के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के आंसू से बिहार के कम से कम 7 जिलों में सियासी समीकरण भी बिगड़ सकता है। इन जिलों में समस्तीपुर, खगड़िया, जमुई, वैशाली, नालंदा, हाजीपुर, दरभंगा व अन्य जिले शामिल हैं। नालंदा सीएम नीतीश कुमार कागृह जिला है।
16 फीसदी है दलितों की आबादी
इन जिलों में दलित वोटर एक बड़े फैक्टर के रूप में काम करते हैं जिसका फायदा राम विलास पासवान की पार्टी एलजेपी को हो सकती है। पूरे बिहार बिहार में दबे-कुचलों यानि दलितों की आबादी 16 फीसदी है। 2010 के विधानसभा चुनाव से पहले तक राम विलास पासवान इस जाति के सबसे बड़े नेता रहे हैं। 2005 के विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने नीतीश का साथ नहीं दिया था। इससे खार खाए नीतीश कुमार ने दलित वोटों में सेंधमारी के लिए बड़ा खेल कर दिया था। 22 में से 21 दलित जातियों को उन्होंने महादलित घोषित कर दिया था। लेकिन इसमें पासवान जाति को शामिल नहीं किया था।
महादलितों की आबादी 10%
बिहार में महादलितों की आबादी 10 फीसदी है। पासवान जाति के वोटरों की संख्या 4.5 फीसदी है। 2009 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के इस मास्टर स्ट्रोक का असर पासवान पर दिखा था। 2009 के लोकसभा चुनाव में वह खुद चुनाव हार गए थे। 2014 में पासवान एनडीए में आ गए। नीतीश कुमार उस समय अलग हो गए थे। 2015 में पासवान एनडीए गठबंधन के साथ मिल कर चुनाव लड़े लेकिन उनकी पार्टी बिहार विधानसभा में कोई कमाल नहीं कर पाई। 2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़ कर एनडीए में आ गए और 2018 में पासावन जाति को महादलित वर्ग में शामिल कर लिया ।
शाह ने कर दिया खेल
चिराग पासवान के साथ बीजेपी नेताओं ने 2 टूक कहा है कि चिराग पीएम की तस्वीर यूज नहीं कर सकते हैं। लेकिन राम विलास पासवान के निधन के बाद अमित शाह का ट्वीट कुछ और इशारा कर रहा है। उनके निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए शाह ने ट्वीट कर लिखा है कि मोदी सरकार उनके गरीब कल्याण और बिहार के विकास के स्वपन्न को पूर्ण करने के लिए कटिबद्ध रहेगी। अब इस ट्वीट के कई सियासी मायने हैं।
विरोधी भी खुलकर नहीं कर पाएंगे वार
अब बिहार में एलजेपी के विरोधी दल भी रामविलास पासवान पर खुल कर वार नहीं कर पाएंगे। नीतीश कुमार खुद इससे बचने की कोशिश करेंगे। इसका लाभ चिराग पासवान को मिल सकता है। इस चुनाव में उन्होंने दलितों के साथ-साथ अगड़ी जाति के लोगों को भी लुभाने की कोशिश की है। फिर चिराग द्वारा सवर्ण जातियों के लोगों टिकट देना भी लाभकारी साबित हो सकता है।
Updated on:
09 Oct 2020 03:04 pm
Published on:
09 Oct 2020 12:27 pm
बड़ी खबरें
View Allराजनीति
ट्रेंडिंग
