
भाजपा ने राहुल गांधी की रणनीति में फंसकर विकास का मुद्दा छोड़ा और राष्ट्रवाद अपनाया?
नई दिल्ली।लोकसभा चुनाव 2014 और लोकसभा चुनाव 2019 में सबसे बड़ा अंतर क्या है? खासतौर से जिस तरह से चुनाव प्रचार किया जा रहा है, एजेंडा और नैरेटिव सेट किए जा रहे हैं। इस बात से आज उनके घोर विरोधी भी इंकार नहीं कर पा रहे हैं कि राहुल गांधी एक राजनीतिज्ञ के रूप में बहुत परिपक्व नजर आ रहे हैं। न्याय योजना और रफाल भ्रष्टाचार के रूप में लोकसभा चुनाव 2019 का नैरेटिव भी उन्होंने ही सेट किया है। खासतौर से न्याय योजना ने तो लोकसभा चुनाव 2019 को देश के मुट्ठीभर बड़े उद्योगपतियों और करोड़ों गरीबों के बीच की सीधी लड़ाई का रूप दे दिया है। गरीबों, किसानों और देश के विकास के लिए पांच साल के कार्यकाल में क्या किया, ऐसे सवालों से बचने के लिए भाजपा भी लोकसभा चुनाव के प्रचार में केवल राष्ट्रवाद और धारा 370 तक ही सिमटकर रह गई है।
मोदी को बार-बार अमीरों का दोस्त बताने के पीछे रणनीति क्या है?
यह बात तो जगजाहिर है कि बड़े उद्योगपतियों की संख्या बेहद कम है। भारत में करोड़ों गरीब हैं। अति गरीब लोगों की न्यूनतम आय 72,000 रूपए प्रतिवर्ष करने की न्याय योजना के बारे में बताते हुए राहुल गांधी कहते हैं कि इससे देश के 20 फीसदी गरीबों को फायदा होगा। इसका मतलब यह है कि देश में ऐसे लोगों की संख्या करीब 25 करोड़ हो सकती है। लोकतंत्र में संख्या बल सबसे महत्वपूर्ण होता है। गिनती के उद्योगपति पार्टी फंड में चंदा दे सकते हैं, लेकिन जीतने के लिए वोट मतदाता ही दे सकते हैं। यही वजह है कि राहुल गांधी ने अपना ध्यान गरीब वोटबैंक पर केंद्रित किया हुआ है। नरेंद्र मोदी को इस वोटबैंक के लोगों से दूर करने के लिए ही वह बार-बार पीएम मोदी को अमीरों का दोस्त बताते हैं। मोदी पर आरोप लगाते हैं कि उनकी वजह से ही नीरव मोदी और माल्या जैसे उद्योगपति बैंकों का अरबों रूपया लेकर विदेश भाग गए। राहुल मोदी पर आरोप लगाते हैं कि उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर अनिल अंबानी को रफाल का हजारों करोड़ रूपए का ठेका दिलवा दिया। अडानी का नाम भी नरेंद्र मोदी के साथ राहुल गांधी जोड़ते रहे हैं।
क्या मोदी को अमीरों का नेता बताने से कांग्रेस को फायदा हुआ?
कांग्रेस को गरीबों और किसानों की पार्टी बताने की रणनीति ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी के लिए चमत्कार किया। स्पष्ट है कि राहुल गांधी पीएम मोदी को अमीरों का दोस्त और कांग्रेस को गरीबों व किसानों की पार्टी साबित करने में सफल साबित हुए। अब इसी मॉडल को वह लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल कर रहे हैं। कांग्रेस का घोषणापत्र गरीबों और किसानों की जिंदगी बेहतर करने के वायदों से भरा हुआ है। उधर, भाजपा ने विकास का मुद्दा छोड़कर राष्ट्रवाद और धारा 370 जैसे मुद्दों को अपना लिया है।
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Updated on:
01 May 2019 09:13 am
Published on:
01 May 2019 08:02 am
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