2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 169 में से जीती थीं अधिकांश सीटें चुनाव आयोग के कार्यक्रम के अनुसार अंतिम तीन चरण में 169 सीटों पर मतदान होना है, उनमें करीब 140 सीटें ऐसी हैं, जिनमें भाजपा का पलड़ा भारी रहा था। इन्हीं सीटों पर कांग्रेस की स्थिति भी बेहद मजबूत है। ऐसे में राष्ट्रवाद चला, तो भाजपा और जनता की दिलचस्पी न्याय में हुई, तो कांग्रेस अंतिम तीन चरणों में जीतकर 5 साल बाद फिर से केंद्र की सत्ता पर अपना दावा पेश कर सकती है।
राहुल गांधी और कांग्रेस पर क्यों बरसते हैं पीएम? लोकसभा चुनाव 2019 ( Lok Sabha Elections 2019 ) के मतदान का कार्यक्रम चुनाव आयोग ने इस तरह बनाया है कि पहले चार चरणों में ही 70 फीसदी से ज्यादा सीटों के लिए मतदान हो जाए। इसका अर्थ है कि अंतिम तीन चरणों में 30 फीसदी से भी कम सीटों के लिए मतदान होगा। तो अब सवाल ये पैदा होता है कि ये सीटें इतनी महत्वपूर्ण क्यों हैं कि यही अगली लोकसभा का भाग्य निर्धारित करेंगी? दरअसल अंतिम तीन चरण में हमारे देश के दो सबसे बड़े राजनीतिक दल आपस में सीधा मुकाबला करेंगे। ये दल हैं कांग्रेस और भाजपा। पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को मालूम है कि देश में अगली सरकार किसकी बनेगी, इसमें कांग्रेस का अंतिम तीन चरणों में प्रदर्शन बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा।
भाजपा-कांग्रेस में होगी आमने-सामने की लड़ाई स्पष्ट है कि जिन भाजपा सांसदों ने 2014 में नरेंद्र मोदी को भारत का प्रधानमंत्री बनाया था, उनमें से करीब-करीब आधे सांसदों के भविष्य का फैसला भी अंतिम तीन चरणों में ही होगा। अब
पीएम मोदी और राहुल गांधी आमने-सामने खड़े होंगे। गठबंधन की आड़ में छिपकर प्रहार करने की सुविधा नहीं होगी। महामिलावट जैसे मंत्र निष्प्रभावी हो जाएंगे। भाजपा रणनीतिकार इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि मायावती, ममता बनर्जी या नवीन पटनायक जैसे क्षेत्रीय नेता नरेंद्र मोदी को फिर से पीएम बनने से नहीं रोक सकते, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ऐसा कर सकती है। यही वजह है कि पीएम मोदी और अमित शाह पश्चिम बंगाल में चुनावी रैली करें या केरल में या फिर गुजरात में, उनके निशाने पर राहुल, प्रियंका और सोनिया ही रहते हैं। अंतिम तीन चरणों में मुकाबला सीधे-सीधे कांग्रेस और भाजपा के बीच होगा। यही वो सीटें हैं, जिनपर अभूतपूर्व विजय हासिल करके नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने थे और इन्हीं सीटों पर उनका भविष्य भी टिका हुआ है। पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन इन सीटों पर बेहद निराशाजनक था। शायद अपने इतिहास में इस सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन इतना खराब कभी नहीं रहा। अगर 2009 और 2014 लोकसभा चुनावों के वोट शेयर की भी तुलना करें, तो भाजपा का लाभ, कांग्रेस का ही नुकसान था।
कौन बनेगा प्रधानमंत्री = कौन जीतेगा अंतिम तीन चरण अगर हम कहें कि कौन बनेगा भारत का अगला प्रधानमंत्री का जवाब इस सवाल में छिपा है कि मतदान के अंतिम तीन चरणों में विजय किसके हाथ लगेगी, तो गलत नहीं होगा। पिछले लोकसभा चुनावों में मोदी ने ताबड़तोड़ बैटिंग कर इन्हीं सीटों पर सबसे ज्यादा रन बनाए थे, जबकि कांग्रेस रन आउट हो गई थी। लेकिन पांच साल में देश के हालात बहुत बदल गए हैं। अब राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस तीन विधानसभा चुनावों में भाजपा को चित करके आत्मविश्वास से भरी हुई है। भाजपा को 2014 में सबसे ज्यादा फायदा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में हुआ था। यहां यूपी को छोड़ दें, तो अन्य सभी राज्यों में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था। अगर केवल इन तीन राज्यों की भी बात करें, तो राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने दो अंकों में अपना वोट शेयर गंवा दिया है। इन तीन राज्यों की लोकसभा सीटों की बात करें, तो 65 में से 62 सीटें 2014 में भाजपा ने जीती थीं। यहां अगर भाजपा की बड़ी हार होती है, तो वह संसद में बहुमत के जादुई आंकड़े से काफी पीछे जा सकती है।
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