भाजपा ने पश्चिम बंगाल को साधने का हर वो नुस्खा अपनाया जिससे उसे चुनाव में जनमत हासिल हो। फिर वो चाहे टीएमसी के नेताओं को तोड़ना हो या फिर ममता के करीबी मुकुल रॉय पर कब्जा। पार्टी ने अपनी रणनीतियों के साथ टीएमसी से सीधे टक्कर ली। भले भाजपा को इसमें कामयाबी मिली हो, लेकिन टीएमसी और ममता बनर्जी अब भी पार्टी के लिए बड़ी मुश्किल साबित हो सकते हैं। टीएमसी नेताओं को पार्टी में लाना भाजपा नेताओं को रास नहीं आ रहा है और प्रदेश भाजपा में बगावत के सुर गूंजने लगे हैं।
दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान इस्लाम ने भाजपा के समर्थकों पर कई हमले किए थे, जिसमें कई लोगों को गंभीर चोटें भी आई थीं। यही वजह है कि पार्टी नेताओं का आरोप है कि इस्लाम के लोगों को पार्टी में शामिल न किया जाए। उनकी वजह से भाजपा समर्थकों को काफी नुकसान हुआ।
मनीरुल इस्लाम को भाजपा में शामिल करने का असर अब खुलकर दिखने लगा है। वीरभूम के भाजपा प्रमुख रामकृष्ण रॉय ने कहा है कि हम बीते सप्ताह हुई बैठक में एक प्रस्ताव लाए हैं, जिसमें मनीरुल को पार्टी में शामिल किए जाने के खिलाफ उसे सदस्य पर स्वीकार न करने की बात कही है।
रॉय ने यह भी कहा कि मनीरुल के साथ बतौर सहयोगी काम करना संभव नहीं है, क्योंकि इन्होंने भाजपा समर्थकों पर हमले करवाए थे। रैली में शामिल नहीं होने दिया गया था। उस वक्त के जख्म हम सब साथियों के दिलों दिमाग पर अब तक ताजा हैं। अपने इस फैसले की जानकारी भाजपा हाईकमान को दे दी गई है।
शामिल करते हुए शुरू हुआ था विरोध
ऐसा नहीं है कि मनीरुल को लेकर अभी बगावती सुर गूंजे हैं। उनको भाजपा में शामिल करते ही पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल दिया था। विरोध का ये असर सोशल मीडिया पर देखने को मिला था। सोशल प्लेटफॉर्म के जरिये मनीरुल विरोधियों ने साफ कर दिया था कि इसे पार्टी में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमारे भाईयों पर हमला करने वाले को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाए।
दरअसल लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद भाजपा आलाकमान की नजर अब पश्चिम बंगाल से दीदी की सत्ता को उखाड़ फेंकने पर है। यही वजह है कि पार्टी उसी फॉर्मूले पर काम कर रही जिसके बूते लोकसभा को साधने में कामयाब रही। यानी टीएमसी के नेता को तोड़ो और अपना कुनबा जोड़ो। यही वजह है कि पार्टी ने मुकुल रॉय जैसे नेताओं के बाद अब विधानसभा चुनाव के लिए टीएमसी के दूसरे नेताओं को जोड़ना शुरू किया है। मनीरुल को पार्टी में लाने के पीछे मुस्लिम वोट पर नजर रखना भी शामिल है।