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Delhi riots पर किताब के प्रकाशन से ब्लूम्सबेरी का इनकार, कपिल मिश्रा बने इसकी वजह

Delhi riots के बारे में ‘Delhi riots 2020: The Untold Story’ इस साल सितंबर में प्रकाशित होने वाला था।
Kapil Mishra ने कहा कि दुनिया की कोई भी शक्ति इस पुस्तक को बाजार में आने से नहीं रोक सकती।

Aug 23, 2020 / 05:32 pm

Dhirendra

Kapil mishra

Kapil Mishra ने कहा कि दुनिया की कोई भी शक्ति इस पुस्तक को बाजार में आने से नहीं रोक सकती।

नई दिल्ली। ब्लूम्सबरी इंडिया ( Bloomsburry India ) ने इस साल फरवरी में हुए दिल्ली दंगों ( Delhi Riots ) से जुड़ी एक किताब का प्रकाशन नहीं करने की घोषणा की है। प्रकाशन संस्था ने शनिवार को यह घोषणा उनकी जानकारी के बिना किताब के बारे में एक ऑनलाइन कार्यक्रम ( Online program ) का आयोजन किए जाने के बाद की। इसके जवाब में किताब की लेखिकाओं में अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ( Monika Arora ) , दिल्ली विश्वविद्यालय की शिक्षकाएं सोनाली चितलकर ( Sonali Chitalkar ) और प्रेरणा मल्होत्रा ( Prerna Malhotra ) ने भी सख्त तेवर अख्तियार करते हुए कहा कि भले ही एक प्रकाशक ने किताब प्रकाशित करने से इनकार कर दिया हो, लेकिन पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए कई अन्य प्रकाशक हमारे पास मौजूद हैं।
मोनिका अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली दंगों की जांच एनआईए ( NIA ) द्वारा की जानी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि ये दंगे सुनियोजित थे। उन्होंने कहा कि पुस्तक को आठ अध्यायों और पांच अनुलग्नकों में विभाजित किया गया है, जो दंगा प्रभावित क्षेत्रों में जमीनी रिसर्च पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि पुस्तक के अध्याय भारत में शहरी नक्सवाल और जिहादी थ्योरी, सीएए, शाहीन बाग और अन्य के बारे में हैं।
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दरअसल ब्लूम्सबरी इंडिया को उस समय सख्त आलोचना का सामना करना पड़ा जब शनिवार को किताब के लोकार्पण का एक कथित विज्ञापन सामने आया और इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ( Kapil Mishra ) को दिखाया गया। उत्तर-पूर्वी दिल्ली ( North-East Delhi ) में 23 फरवरी को हिंसा भड़कने के पहले ऐसे आरोप लगाए गए थे कि कपिल मिश्रा समेत कई नेताओं ने भड़काऊ भाषण दिए थे।
इसके बाद ब्लूम्सबरी इंडिया ने एक बयान जारी कर कहा कि वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हिमायती हैं, लेकिन समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को लेकर भी उतने ही सचेत हैं।

इस बात की जानकारी मिलने पर कपिल मिश्रा ने कहा कि दुनिया की कोई भी शक्ति इस पुस्तक को बाजार में आने से नहीं रोक सकती है। लोग इसे पढ़ना चाहते हैं और बोलने की स्वतंत्रता के ठेकेदार डरते हैं कि पुस्तक यह उजागर करेगी कि दंगों के लिए प्रशिक्षण कैसे दिया गया था। यह बातें भी खुलकर सामने आ जाएंगी कि दिल्ली दंगा के पीछे दुष्प्रचार तंत्र शामिल कौन-कौन लोग थे।
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प्रेरणा मल्होत्रा ने कहा कि पुस्तक का उन तथाकथित वामपंथी विचारकों और बुद्धिजीवियों द्वारा विरोध किया गया, जिन्होंने पहले झूठ फैलाया था कि मुसलमानों के खिलाफ नागरिकता कानून था।
सोनाली चितलकर ने कहा कि पुस्तक पूरी तरह से जमीनी शोध का एक परिणाम है। उन्होंने दावा किया कि हमने मुसलमानों सहित सभी से बात की. हम पक्षपाती नहीं हैं। यह किताब शहरी नक्सलियों और इस्लामिक जिहादियों के खिलाफ रुख अपनाती हैं। यह मुस्लिम विरोधी किताब नहीं है।
बता दें कि ब्लूम्सबरी इंडिया फरवरी में हुए दिल्ली दंगों के बारे में ‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ इस साल सितंबर में प्रकाशित करने वाला था। ब्लूम्सबरी इंडिया के इस रुख पर मोनिका अरोड़ा ने कहा कि अगर एक प्रकाशक मना करता है, तो दस और आ जाएंगे। बोलने की आज़ादी के मसीहा इस किताब से डरे हुए हैं।

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