
आम नहीं खास भी बीएसएनएल से परेशान, संसद में सांसदों ने बताई आपबीती
धीरज कुमार
नई दिल्ली। देश के दूरदराज गांवों में फैले सार्वजनिक निकाय कंपनी बीएसएनएल के खराब नेटवर्क को लेकर आम लोग ही नहीं बल्कि सांसद भी त्रस्त हैं। बृहस्पतिवार को भाजपा, कांग्रेस, द्रमुक समेत कई पार्टियों के सांसदों ने कहा कि निजी कंपनियों के सामने बीएसएनएल की सांस फूल रही है और वे खुद इसके खराब नेटवर्क के भुक्तभोगी हैं।
सांसदों की नाराजगी के जवाब में सरकार ने कर्मचारियों की बड़ी संख्या और उनकी सैलेरी के बोझ का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने कंपनी के कर्मचारियों को भी निजी कंपनियों के मुकाबले प्रतियोगिता करने के लिए को ज्यादा पेशेवर होने और सहयोग करने के लिए भी कहा। राज्यसभा में भाजपा के सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा, बीएसएनएल की सेवाओं से लोग बड़े उत्पीड़ित हैं, मैं स्वयं एक उत्पीडि़त हूं। कहीं कॉल मिलती नहीं है और अगर मिलती है तो दूसरी जगह मिल जाती है। एक बार मैं अपने आवास के जिस कमरे में था, वहां से जब तीसरे कमरे में फोन मिलाया तो वह जाकर डिब्रूगढ़ लग गया। इंटरनेट भी काम करता नहीं। सांसदों ने बीएसएनएल के निजी कंपनियों की तरह देशभर में 4जी नेटवर्क भी शुरू नहीं करने को लेकर रोष जताया।
दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बीएसएनएल में 1,65,000 और एमटीएनएल में 21,679 कर्मचारी है। कुल आमदनी का 75 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों के वेतन पर खर्च हो जाता है। वहीं एयरटेल कंपनी में सिर्फ 20 हजार, वोडाफोन 5000 और जियो में 2 हजार कर्मचारी हैं। यह मुद्दा काफी लंबे समय से चल रहा है। हमने सत्ता में आते ही बीएसएनएल को फिर से खड़ा करने और निजी कंपनियों से मुकाबला करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
Published on:
19 Jul 2019 04:19 pm
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