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भाजपा की मांग, जम्मू-कश्मीर में चुनाव का बहिष्कार करने वाले दलों की मान्यता हो रद्द

भाजपा ने मांग की कि जम्मू एवं कश्मीर में निगम और पंचायत चुनावों का बहिष्कार कर रहे सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की मान्यता समाप्त कर देनी चाहिए।

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भाजपा की मांग, जम्मू-कश्मीर में चुनाव का बहिष्कार करने वाले दलों की मान्यता हो रद्द

भाजपा की मांग, जम्मू-कश्मीर में चुनाव का बहिष्कार करने वाले दलों की मान्यता हो रद्द

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को मांग की कि जम्मू एवं कश्मीर में निगम और पंचायत चुनावों का बहिष्कार कर रहे सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की मान्यता समाप्त कर देनी चाहिए। भाजपा प्रवक्ता ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) अनिल गुप्ता ने कहा, "राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी को उन राजनीतिक दलों की मान्यता समाप्त कर देनी चाहिए, जिन्होंने शहरी नगर निकायों और पंचायत चुनावों के बहिष्कार की घोषणा की है।" उन्होंने कहा, "नेशनल कांफ्रेंस (एनसी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) राज्य और राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां हैं, जिनके पास चुनाव चिन्ह हैं।"

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चुनाव में भाग न लेकर लोकतंत्र का अपमान कर रहे हैं राजनीतिक दलः गुप्ता

आपको बता दें कि भाजपा प्रवक्ता ने आगे बोलते हुए कहा कि इन दलों के पास जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए (5) के मुताबिक सभी चुनावों में भागीदारी का अधिकार है। चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रीढ़ है और लोगों को अपनी इच्छा जाहिर करने का एक अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा, चुनाव का बहिष्कार कर ये राजनीतिक दल न केवल राज्य के लोगों के साथ धोखा कर रहे हैं, बल्कि संविधान का भी अपमान कर रहे हैं। इन राजनीतिक दलों ने मान्यता के लिए आवेदन करते वक्त संविधान की रक्षा का संकल्प लिया था। इन राजनीतिक दलों द्वारा लोकतांत्रिक प्रक्रिया का दमन मानवाधिकार के उल्लंघन के बराबर है। उन्होंने कहा, "मुख्य चुनाव अधिकारी को तुरंत यह मुद्दा भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष उठाना चाहिए, ताकि इन दलों की मान्यता समाप्त की जा सके और इनके चुनाव चिन्ह जब्त किए जा सकें।" राज्य में निगम चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान आठ अक्टूबर से शुरू होगा, जबकि पंचायत चुनाव नवंबर-दिसंबर में पूरे होंगे।

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आतंकियों ने पंचायत घरों को कर दिया था आग के हवाले

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की धमकी के बाद कई राजनीतिक दलों ने निगम और पंचायत चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। विपक्ष दलों का कहना है कि केद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के मसले को ठीक से नहीं सुलझाया है जिसके कारण घाटी में आतंकियों की हरकतें बढ़ गई है। आंतकियों ने कई पंचायत घरों को आग के हवाले कर दिया था और धमकी दी थी कि कई भी चुनाव में हिस्सा न लें।