दरअसल, सीबीआई राजीव कुमार से इस कथित घोटाले से जुड़े अहम सबूतों, खासतौर से गायब हुए एक लाल डायरी, पेन ड्राइव और लैपटॉप की जानकारी हासिल करना चाहती है। इसके लिए जांच अधिकारियों को सीसीटीवी फुटेज की भी तलाश है एसआईटी को सौंपे गए थे। इसके पीछे सीबीआई का मुख्य मकसद टीएमसी के उन नेताओं के बारे पता लगाना है जो इस घोटाले में लिप्त रहे हैं।
कोलकाता में सीबीआई के संयुक्त निदेशक पंकज श्रीवास्तव ने इससे पहले कहा था कि राज्य पुलिस ने एजेंसी को कुछ ‘अहम सबूत’ नहीं सौंपे हैं। किसी बड़ी साजिश की तरफ इशारा करते हुए सीबीआई ने शक जताया था कि ये सबूत छुपा लिए गए हैं या फिर नष्ट कर दिए गए हैं। सीबीआई का दावा है कि शारदा घोटाले के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राजीव कुमार के नेतृत्व में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के जुटाए सबूतों में एक लैपटॉप, पांच मोबाइल फोन और शारदा समूह के प्रमुख सुदिप्तो सेन की लाल डायरी सहित कुछ अहम दस्तावेज शामिल थे।
बता दें कि वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की थी। वहीं एक सीबीआई अधिकारी बताते हैं कि एसआईटी ने वह डायरी, पेन ड्राइव और दूसरे दस्तावेजों सहित कई अहम सबूत हमें नहीं सौंपे। हमारा मानना है कि इनमें प्रभावशाली लोगों के नाम और उनको की गई पेमेंट्स का रिकॉर्ड था। सुदिप्तो सेन को जब उत्तरी 24 परगना की जिला अदालत में पेश किया गया तो उन्होंने किसी लाल डायरी की मौजूदगी से साफ इनकार किया. उन्होंने कोर्ट से कहा, ‘मेरे पास कोई लाल डायरी नहीं है.’ लाल डायरी भले हो या ना हो- इस मामले में सबसे अहम सबूत मिडलैंड पार्क स्थित सेन के दफ्तर और घर के सीसीटीवी फुटेज को माना जा रहा है। सीबीआई के ही एक अधिकारी का कहना है कि हमें यकीन है कि वहां सीसीटीवी कैमरा लगा था और उसका फुटेज रिकॉर्ड व स्टोर किया जाता था। हमें यह भी पता है कि यह सीसीटीवी फुटेज एसआईटी के हवाले किया गया था।