
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के एससी, एसटी ओबीसी के करीब आधे पद खाली
नई दिल्ली। दलित, आदिवासयिों और पिछड़े वर्गों के उच्च शिक्षित युवाओं के रोजगारी को ले कर सरकारी गंभीरता का अंदाजा इस आंकड़े से लगाया जा सकता है कि देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आधे से ज्यादा शिक्षकों के आरक्षित पद खाली पड़े हैं। देशभर के 41 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 7 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं। वहीं 13 हजार से ज्यादा गैर शिक्षक स्टाफ के पद खाली पड़े हैं। हालांकि अगले 6 महीने में शिक्षकों के सभी पदों को भरने के सरकार के एलान से आरक्षित वर्ग के लोगों को राहत की एक उम्मीद जरूर जगी है। मगर गैर शिक्षक स्टाफ के खाली पद कब भरे जाएंगे, इसके बारे में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बताया नहीं है।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों के खाली पद दशकों से भरे नहीं गए हैं। वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अप्रैल, 2017 में विश्वविद्यालयों में नियुक्ति के लिए यूनिवर्सिटी के बदले विभागवार नियुक्ति को मानने का फैसला किया था। इस फैसले का दलित और पिछड़े वर्गों ने विरोध किया था जबकि सरकार ने भी माना था कि अगर इस फैसले को लागू किया जाता है तो अगले 100 सालों में भी आरक्षित वर्ग के लोगोंं में से कोई विश्वविद्यालयो में कोई प्रोफेसर नहीं बन पाएगा। इस फैसले के बाद से एससी, एसटी, ओबीसी के खाली पदों का बैकलॉग और बढ़ गया। पिछले दो साल से ज्यादा समय से विश्वविद्यालयों में नियुक्ति प्रक्रिया ठप पड़ी है। सरकार ने कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए 7 मार्च 2019 को अध्यादेश लार्ई थी।
सरकार ने शुक्रवार को अध्यादेश की जगह बिल भी लोकसभा से पास करा दिया। इसके बाद इन खाली पदों के भरने की उम्मीद जगी है। हालांकि राजनीतिक दलों का आरोप है कि अभी भी कई विश्वविद्यालयों भर्ती में 13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली को खत्म कर 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली लागू करने के सरकार के फैसले को नहीं मान रहे हैं।
सपा सांसद जावेद अली का कहना है कि पंजाब, तमिलनाडु, कर्नाटक और अमरकंटक के केंद्रीय विश्वविद्यालयों के विज्ञापनों में एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरियों में पुराने रोस्टर के हिसाब से जितनी सीटें आरक्षित वर्गों को मिलनी चाहिए थी, उतनी सीटें नहीं दी गई है। हालांकि मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इन आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि 7 मार्च 2019 के बाद से कोई नियुक्ति नहीं हुई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी 4 जून को सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को पुराने रोस्टर प्रणाली के तहत भर्तिया करने के लिए दिशा निर्देश दे दिए हैं। सभी विश्वविद्यालयों को तय समय सीमा के तहत नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल खाली पद 7274
एससी श्रेणी के खाली पद 964 स्वीकृत 2091
एसटी श्रेणी के खाली पद 518 स्वीकृत 1011
ओबीसी श्रेणी के खाली पद 1238 स्वीकृत 1238
Published on:
13 Jul 2019 08:03 pm
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