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भारत दौरे पर चेन्‍नई पहुंचे राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग, राज्‍यपाल कोनिजेती रोसइया ने की आगवानी

11 और 12 अक्टूबर को पीएम मोदी से करेंगे अनौपचारिक बातचीत चेन्नई में पीएम मोदी के साथ होगी बैठक वुहान की तरह होगी अनौपचारिक मुलाकात

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नई दिल्‍ली। चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग दो दिवसीय भारत यात्रा के क्रम में चेन्‍नई पहुंच गए हैं। जिनपिंग वहां से सीधे महाबलीपुरम के लिए रवाना होंगे जहां पीएम मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर उनका स्‍वागत करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के महाबलिपुरम पहुंचने से पहले वहां पहुंचे चुके हैं। अब वो शी जिनपिंग के आने का इंतजार कर रहे हैं। महाबलीपुरम पहुंचने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन भाषाओं में ट्वीट किया है। पीएम ने चीनी, तमिल और अंग्रेजी में ट्वीट कर यहां पहुंचने की खुशी जाहिर की है। इसके साथ ही उन्होंने अपने ट्वीट में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का स्वागत भी किया।

बीजिंग से रवाना हुए शी जिनपिंग

शुक्रवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तमिलनाडु के महाबलीपुरम में चीन के राष्‍ट्रपति से मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं के बीच होने वाली ये दूसरी इन्फॉर्मल समिट है।

शी की आगवानी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चेन्नई पहुंच गए हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोपहर दो बजे तक चेन्नई पहुंचेंगे।

बता दें कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शुक्रवार को दो दिन की भारत यात्रा पर आ रहे हैं। जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी की शनिवार को तमिलनाडु के महाबलिपुरम में अनौपचारिक मुलाकात होगी।

चीन के राष्‍ट्रपति की आगवानी के लिए तय प्रोटोकॉल की साझा रिहर्सल की गई है। इस मुलाकात के लिए सुरक्षा के सख्‍त इंतजाम किए गए हैं। चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की व्‍यवस्‍था है।

नरेंद्र मोदी के दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद चीनी राष्ट्रपति की ये पहली भारत यात्रा होगी। दो दिन के इस दौरे में भारत-चीन के बीच कोई बड़ा करार होने की संभावना नहीं है। ये एक तरह की इन्फॉर्मल विजिट है जिसमें कोई निश्चित एजेंडे पर बात नहीं होगी।

चीनी राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान न ही कोई समझौता होगा न ही कोई MoU साइन किया जाएगा। यह यात्रा पूरी तरह से इन्फॉर्मल रहने वाली है। हालांकि इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-शी जिनपिंग में वन-टू-वन बातचीत होगी जिसमें बॉर्डर पर शांति, पीपल टू पीपल कनेक्ट पर फोकस होगा। दोनों नेता इस बैठक में विशेष प्रतिनिधि वार्ता की तारीख भी तय कर सकते हैं।

दरअसल, अनौपचारिक बैठकों के बाद न कोई संयुक्‍त घोषणापत्र जारी किया जाता है और न ही औपचारिक बयान जारी होते हैं। ऐसे में अनौपचारिक मुलाकातों का सबसे बड़ा संकट यही है कि इसमें बैठक के वास्‍तविक नतीजों का पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

बताया जा रहा है कि इस मुलाकात में व्‍यापार, सुरक्षा, द्विपक्षीय मुद्दे और वैशविक मुद्दों पर बात हो सकती है। बातचीत में आतंकवाद और जम्‍मू-कश्‍मीर का भी मुद्दा उठ सकता है।