
कर्नाटक की राजनीति में कुमारस्वामी के 'विक्टिम कार्ड' के सामने बेबस भाजपा और कांग्रेस
नई दिल्ली। जोड़तोड़ की राजनीति में माहिर जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी कांग्रेस के सहयोग से कर्नाटक के सीएम तो बन गए, लेकिन कुछ ही दिनों में उन्हें अहसास होने लगा है कि सत्ता का रिमोट राहुल गांधी के हाथ में है। उन्हें सबसे ज्यादा बुरा उस समय लगा जब कैबिनेट विस्तार को लेकर मंत्रियों की सूची फाइनल करने से पहले राहुल गांधी यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का इलाज कराने के लिए अमरीका रवाना हो गए। उन्हें बताया गया है कि एक सप्ताह बाद जब वो वापस लौटेंगे तो कैबिनेट का विस्तार हो पाएगा। मीडिया में ये बात सामने आते ही उन्हें कठपुतली सीएम कहा जाने लगा। इससे बचने के लिए उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज में 'विक्टिम कार्ड' खेलकर कैबिनेट विस्तार में विलंब का सारा ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ दिया।
ऐसा कर उन्होंने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक तो कांग्रेस को दबाव में लेने काम किया और येदियुरप्पा के प्रस्तावित किसान आंदोलन को कुंद करने की कोशिश की। इसका सीधा असर यह हुआ कि कांग्रेस के नेता यह कहने लगे हैं कि कैबिनेट का विस्तार राहुल गांधी के विदेश में रहते हुए भी हो सकता है।
कांग्रेस पर निर्भरता की बात क्यों की?
दरअसल, सोमवार को मीडिया में इस बात की चर्चा होते ही कि कुमारस्वामी कठपुतली सीएम हैं, उन्होंने इससे पार पाने के लिए पहला विक्टिम कार्ड खेल दिया। इसके तहत उन्होंने मीडिया को बयान दिया कि मैं सीएम बनने के लिए प्रदेश की जनता का नहीं बल्कि कांग्रेस का ऋणी हूं। ऐसा इसलिए कि मैंने प्रदेश की जनता से स्पष्ट बहुमत देने की अपील की थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और कांग्रेस ने मुझे सीएम बनाया। इसलिए मैं हर निर्णय के लिए कांग्रेस पर निर्भर हूं। जहां तक किसानों के कर्जमाफी के वादों की बात है तो मैं कांग्रेस से बात कर ही इस पर कोई निर्णय लूंगा। इसके बाद कांग्रेस ने अपनी छवि खराब होते देख कैबिनेट विस्तार जल्द होने के संकेत दिए हैं।
पीएम मोदी को दिया विशेष सम्मान
अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सीएम कुमारस्वामी सोमवार को केवल कांग्रेस पर निर्भरता की बातों तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने भाजपा के कद्दावर नेता येदियुरप्पा के दबाव को कम करने के लिए सोमवार को अचानक पीएम मोदी से मिलने का फैसला लिया। वे पीएम से मिले और उन्हें विशेष सम्मान से भी नवाजा। आप कह सकते हैं कि इसमें सम्मान की बात क्या है? आपको बता दें कि किसी प्रदेश के नवनियुक्त सीएम का पीएम से मिलना एक रुटीन मसला है। लेकिन कुमारस्वामी का मकसद केवल मुलाकात तक सीमित नहीं था। वह पीएम की सहानुभूति भी इसी बहाने बटोरने चाहते थे और उन्हें इसमें सफलता भी मिली। इसके लिए उन्होंने मुलाकात के साथ पीएम का स्वागत उनके आवास पर माला पहनाकर किया। साथ ही कर्नाटक के सम्मान का प्रतीक विशेष साफा भी उन्हीं भेंट किया। दोनों घटना के बाद मीडिया का ध्यान बंट गया और चर्चा इस बात की होने लगी कि कर्नाटक में कुमारस्वामी के बहाने कांग्रेस खुद राज करना चाहती है।
Published on:
29 May 2018 10:38 am
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